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भारत में यहूदियों के जीवन को बयां करती किताबें

हमें फॉलो करें भारत में यहूदियों के जीवन को बयां करती किताबें

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नई दिल्ली , सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (16:35 IST)
भारत में यहूदियों की मौजूदगी और उनके जीवन की कहानी कहते निबंधों के संग्रह ‘जियूज़ एंड द इंडियन आर्ट प्रोजेक्ट’ और ‘वेस्टर्न जियूज़ इन इंडिया’ का कल लोकार्पण किया गया। इनका संपादन डॉक्टर कीनेथ रॉबिन्स और रब्बी मारविन तोकाएर ने किया है।
 
डॉक्टर कीनेथ रॉबिन्स ने कहा कि उन्होंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में यहूदियों के योगदान को पहचानने का लक्ष्य रखा था। कीनेथ पेशे से मनोवैज्ञानिक हैं।
 
उन्होंने कहा कि मेरा वास्तविक लक्ष्य भारत में रहने वाले यहूदियों, विभिन्न समुदायों की संस्कृतियों के बारे में किताब लाने का था, मगर ऐसा कई बार किया जा चुका है। लेकिन मैं उन यहूदी व्यक्तियों को ढूंढता रहा जिन्होंने भारत के लिए योगदान किए हैं।
 
रॉबिन्स कहते हैं कि मैंने पाया कि यहूदी बहुत पहले से भारत में आते रहे हैं। वे सब एक ही समय पर नहीं आए और न ही बड़ी संख्या में आए। इसके साथ ही रॉबिन्स उन विभिन्न यहूदियों के नाम लेते हैं जिनके बारे में उन्हें ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। वे उनकी कहानियां कहते हुए उन्हें एक शख्सियत के रूप में देखते हैं।
 
इन लोगों में एक जिक्र ‘द मदर’ (मीरा अल्फासा) का है, जो श्री अरबिंद की आध्यात्मिक सहयोगी थीं। 
 
'ज्यूज एंड द इंडियन आर्ट प्रोजेक्ट' रॉबिन्स का ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें भारतीय कला परिदृश्य में  यहूदियों को एक महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य अंगों के रूप में स्थापित किया गया है। लेखक ने कहा कि  यदि आप भारतीय कला के किसी क्षेत्र को देखें तो पाएंगे कि यहूदी लोग उससे जुड़े हैं।
 
बंगाल में टैगोर (रवीन्द्रनाथ) के साथ सर विलियम रोदेन्स्टीन थे जिन्होंने दुनिया का परिचय टैगोर  से करवाया। उन्होंने ही वीर सावरकर को सजा से बचाया। लेखक को लगता है कि कला के अलावा  भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में भी यहूदियों को योगदान के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है।
 
उन्होंने कहा कि हमने ऐसे 127 यहूदी चिकित्सकों का पता लगाया है, जो 1930 और 1940 के  दौरान हिटलर से बचकर जयपुर, बीकानेर और मुंबई जैसे स्थानों पर आए और चिकित्सा के क्षेत्र में  सुधार किए। 
 
उन्होंने यह भी कहा कि सिप्ला के अध्यक्ष और वैज्ञानिक यूसुफ हामिद भी यहूदी मूल के हैं और  उन्होंने भी चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक योगदान दिया है।
 
इस अवसर पर इसराइल के राजदूत डेनियल कैमरून भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि केनीथ रॉबिन्स  ने भारत में यहूदियों का यह शानदार अंक लाने के लिए पिछले कुछ सालों तक सूचनाएं और आंकड़े  एकत्र करने का बड़ा काम किया है। इस छोटे लेकिन प्रभावशाली समुदाय के योगदान का वर्षों से  स्वागत किया जाता रहा है।
 
भारत में यहूदियों से जुड़ी किताब की श्रृंखला में लेखक अब बॉलीवुड में यहूदी, शरणार्थी यहूदियों का  संहार, भारतीय शासकों की सेनाओं में यहूदी सैनिक और यहूदी सूफियों से जुड़ी किताबें लाने की  तैयारी कर रहे हैं। (भाषा)
 

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