kurma jayanti 2025: वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के कूर्मावतार की जयंती भी मनाई जाती है। इस बार 12 मई 2025 सोमवार के दिन यह जयंती मनाई जा रही है। कूर्म को कच्छप भी कहते हैं। यानी भगवान विष्णु का कछुए का स्वरूप। इस दिन कच्छपावतार की पूजा करने का महत्व है।
1. क्यों लिया था कच्छप अवतार: समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया। किंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए। भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घुमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ। कूर्म अवतार ने समुद्र मंथन को सफल बनाया, जिससे देवताओं को अमृत मिला और वे अमर हो गए। समुद्र मंथन करने से एक एक करके रत्न निकलने लगे। कुल 14 रत्न निकले।
2. धैर्य रखें और शांत बने रहें: कूर्म अवतार संतुलन, सामंजस्य और धैर्य का प्रतीक है, जो हमें चुनौतियों का सामना करने में शांत और दृढ़ रहने की प्रेरणा देता है।
3. अपनी खोल जरूर बनाएं: कछुआ अपने खोल में सिमट जाने की क्षमता के लिए जाना जाता है, जो भौतिक दुनिया से अलगाव का प्रतीक है। इसी के साथ ही यह दुनिया के खतरों से सुरक्षित रहने के लिए सीख भी देता है। यानी हमारी जिंदगी की सुरक्षा की एक खोल जरूर होना चाहिए।
4. वास्तु दोष होता है दूर: वास्तु के अनुसार कूर्म जयंती के दिन घर में चांदी या धातु से बना कछुआ लाकर स्थापित करना बहुत शुभ माना गया है इससे नकारात्मक ऊर्जा कम होती है। इसे घर की उत्तर दिशा में या ड्रॉइंग रूम में रखें। जिस घर में धातु से बना कछुआ रहता है, वहां कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती। लक्ष्मीजी स्थाई रूप से निवास करती हैं।
5. कच्छपावतार की पूजा:
- कूर्म जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं।
- फिर स्नान करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण कर लें।
- भगवान विष्णु यानि कूर्म देव की पूजा से पहले आचमन या खुद को शुद्ध करें।
- अब एक पाटे पर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति अथवा प्रतिमा स्थापित करें।
- फिर श्री विष्णु का पूजन करते हुए पीले पुष्प, हार-माला चढ़ाएं।
- यदि संभव हो तो भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें तुलसी की माला पहनाएं।
- तिल के तेल दीया जलाएं।
- अब दीया जलाकर आरती करें। धूप तथा अगरबत्ती जला दें।
- भगवान विष्णु के सामने घी भरा पात्र रखें।
- पीले फल और पीली मिठाई नैवेद्य के रूप में अर्पित करें।
- आज के दिन कूर्म अवतार की कथा अवश्य ही पढ़ें।
- वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन नारायण स्तोत्र तथा विष्णु सहस्रनाम का पाठ पढ़ें या विष्णु मंत्र का जाप करें।