श्री विश्वकर्मा विश्व के भगवान सर्वाधारणम्। शरणागतम् शरणागतम् शरणागतम् सुखाकारणम्।।
कर शंख चक्र गदा मद्दम त्रिशुल दुष्ट संहारणम्। धनुबाण धारे निरखि छवि सुर नाग मुनि जन वारणम्।।
डमरु कमण्डलु पुस्तकम् गज सुन्दरम् प्रभु धारणम्। संसार हित कौशल कला मुख वेद निज उच्चारणम्।।
त्रैताप मेटन हार हे ! कर्तार कष्ट निवारणम्। नमस्तुते जगदीश जगदाधार ईश खरारणम्।।
सर्वज्ञ व्यापक सत्तचित आनंद सिरजनहारणम्। सब करहिं स्तुति शेष शारदा पाहिनाथ पुकारणम्।।
श्री विश्वपति भगवत के जो चरण चित लव लांइ है। करि विनय बहु विधि प्रेम सो सौभाग्य सो नर पाइ है।।
संसार की सुख सम्पदा सब भांति सो नर पाइ है। गहु शरण जाहिल करि कृपा भगवान तोहि अपनाई है।।
प्रभुदित ह्रदय से जो सदा गुणगान प्रभु की गाइ है। संसार सागर से अवति सो नर सुपध को पाइ है।।
हे विश्वकर्मा विश्व के भगवान सर्वा धारणम्। शरणागतम्। शरणागतम्। शरणागतम्। शरणागतम्।।
श्री विश्वकर्मा भगवान की मुरति अजब विशाल। भरि निज नैन विलोकिये तजि नाना जंजाल।।