17 मार्च, बुधवार 2021 को है विनायक (Vinayak Chaturthi 2021) चतुर्थी है। प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग अलग है। हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। अमावस्या के बाद वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और पूर्णिमा के बाद वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है।
यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है। चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है। चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। यह खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान विनायक अर्थात गणेशजी का जन्म हुआ था। वैसे तो यह हर माह आती है लेकिन भाद्र माह की चतुर्थी बहुत ही महत्व की होती है क्योंकि इसी माह में गणेशजी का जन्म हुआ था। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' और 'गणेश चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने पर सभी तरह के संकट दूर होते हैं और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी बुधवार यानी की 17 मार्च को है विनायक चतुर्थी। बुधवार का दिन गणेशजी का दिन है इसीलिए यह अतिउत्तम दिन में इस बार चतुर्थी है। यानी इस दिन विधि विधान से गणपति जी की पूजा करने से पूजा का फल 100 गुना ज्यादा होगा।
चतुर्थी तिथि : फाल्गुन मास की शुक्ल चतुर्थी तिथि 16 मार्च 08:58 से शुरू होकर 17 मार्च 11:28 को समाप्त होगी।
पूजा मुहूर्त : 17 मार्च 2021 को सुबह 11:17 से दोपहर 01:42 बजे तक है। पूजा मुहूर्त की कुल अवधि 02 घंटे 24 मिनट की है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा दोपहर के समय की जाती है।