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सोम प्रदोष की क्या है कथा, कैसे करें सरल विधि से पूजा

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आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष का सोम प्रदोष व्रत (Som pradosh vrat) मनाया जा रहा है। इस व्रत की पौराणिक व्रतकथा (Vrat Katha) के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। 
 
भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। 
 
शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। 
 
अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। 
 
ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही भगवान शिव अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं। 
 
सरल पूजा विधि : shiva puja vidhi
 
- सोम प्रदोष के दिन व्रत करने वालों को सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
- पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी का पंचामृत व गंगा जल से स्नान करें। 
- अब बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में (सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व) पुन: शिव जी का पूजन करना चाहिए।
- सायंकाल प्रदोष पूजन मुहूर्त का सबसे शुभ समय शाम 06.48 से 09.01 मिनट तक रहेगा तथा पूजन समय की कुल अवधि- 02 घंटे 13 मिनट्स तक रहेगी।
- अत: सायंकाल में प्रदोष के समय पुन: स्नान करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके इसी तरह से शिव जी की पूजा करें। 
- फिर घी और शकर मिले मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं। 
- अब आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। 
- इसके बाद शिव जी की आरती करें।
- रात्रि जागरण करके शिव मंत्र 'ॐ सों सोमाय नम:' या 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करें। 
- इस तरह व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
 
अत: सोम प्रदोष का व्रत करने वालों को इसकी कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए तथा इस सरल पूजन विधि से भोलेनाथ की पूजा करके इस दिन का लाभ पा सकते हैं।

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