गुरु प्रदोष की कथा क्या है? इस उपवास के क्या फायदे हैं?

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Guru Pradosh Vrat 2023 
 
आज ज्येष्ठ मास का गुरु प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। धार्मिक शास्त्रों में गुरु प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गायें दान करने का फल प्राप्त होता है। त्रयोदशी  तिथि में सायंकाल के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2023) को बहुत ही मंगलकारी एवं शिवकृपा दिलाने वाला माना गया है।
 
श्री सूतजी के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत अतिश्रेष्ठ, शत्रु विनाशक भक्ति प्रिय व्रत है, अत: यह शत्रुओं का विनाश करने वाला भी माना गया है तथा सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करने वाला व्रत माना जाता है। गुरु प्रदोष की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से ऐश्वर्य और विजय का शुभ वरदान प्राप्त होता है।

आइए यहां जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत की कथा और उपवास के फायदे- 
 
Guru Pradosh Vrat Katha 
 

गुरु प्रदोष/ त्रयोदशी व्रत की पौराणिक कथा-Guru Pradosh Katha
 
गुरु प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक बार इंद्र और वृत्तासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया।
 
सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं। वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया।
 
पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया। वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- 'हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।'
 
चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिवशंकर हंसकर बोले- 'हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो!'
 
माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- 'अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।'
 
जगदंबा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना। गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- 'वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।'
 
देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने तथा इसकी कथा सुनने से शत्रु, कष्ट तथा पापों का नाश होता है।
 
प्रदोष व्रत के फायदे- Guru Pradosh Vrat Ke Fayde
 
- प्रदोष व्रत जीवन में हर तरह की सफलता के लिए रखा जाता है।
 
- जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है, उसे जीवन में कभी भी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है। यह शत्रु तथा खतरों के विनाश करता है। 
 
- गुरु प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
 
- प्रदोष व्रत में शिव जी का पूजन करने से भाग्य जागृत होता है।
 
- गुरु प्रदोष व्रत से देवगुरु बृहस्पति तथा पितृ देव प्रसन्न होते हैं तथा पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
 
- इस दिन मात्र फलाहार लेने से चंद्र दोष से मिलने वाले खराब प्रभाव दूर तथा नष्‍ट होकर मन से नकारात्मकता दूर होती है। 
 
- गुरु प्रदोष व्रत करने से बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव देता है। 

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Guru Pradosh Vrat 2023
 
 

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