प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 3 सितंबर 2019, मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाएगा।
इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि रजस्वला काल यानी माहवारी में अगर किसी महिला से कोई भूल हो जाती है तो इस व्रत के करने से उस भूल के पाप नष्ट हो जाते हैं। अत: इस पर्व का धर्म में बहुत अधिक महत्व है।
3 सितंबर को ऋषि पंचमी का व्रत सभी महिलाएं व कन्याएं पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ रखेंगी। इस दिन सप्त ऋषियों का पूर्ण विधि-विधान से पूजन कर कथा श्रवण करने का महत्व है। यह व्रत महिलाओं व युवतियों के लिए आवश्यक माना गया है।
यह व्रत पापों का नाश करने वाला व श्रेष्ठ फलदायी है। ऋषि पंचमी पर व्रत रखकर महिलाएं अपने ज्ञात-अज्ञात पापों के शमन के लिए हिमाद्रि स्नान करेंगी। उल्लेखनीय है कि इस दिन रामघाट, शिप्रा नदी, तालाब आदि में स्नान करने का महत्व है।
शास्त्रों के अनुसार ऋषि पंचमी पर हल से जोते अनाज आदि का सेवन निषिद्ध है। इस अवसर पर महिलाएं व कुंआरी युवतियां सप्त ऋषि को प्रसन्न करने के लिए इस पूर्ण फलदायी व्रत को रखेंगी। कहा जाता है कि पटिए पर 7 ऋषि बनाकर दूध, दही, घी, शहद व जल से उनका अभिषेक किया जाता है, साथ ही रोली, चावल, धूप, दीप आदि से उनका पूजन करके तत्पश्चात कथा सुनने के बाद घी से होम किया जाता है।
जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखेंगी, वे सुबह-शाम दो समय फलाहार करके व्रत को पूर्ण करेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में हल से जुता हुआ कुछ भी नहीं खाते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर ही यह व्रत किया जाता है। वे केवल फल, मेवा व समां की खीर, मोरधन से बने व्यंजनों को खाकर व्रत रखेंगी तथा घर-घर में भजन-कीर्तनों का आयोजन किया जाता है।