शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। वर्ष 2020 में पहला प्रदोष व्रत बुधवार, 8 जनवरी को आ रहा है। इस दिन बुधवार को पड़ने के कारण इसे 'बुध प्रदोष व्रत' कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव जी की विधिपूर्वक आराधना करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आइए जानें कैसे करें पूजन
कैसे करें प्रदोष व्रत : सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करें। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद धर्म सत्वं वृषरूपेण से नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
व्रतधारी क्या करें : प्रदोष व्रतार्थी को नमकरहित भोजन करना चाहिए। यद्यपि प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है।
वार के अनुसार प्रदोष व्रत का फल जानिए :
आरोग्य के लिए- रविवार।
संतान प्राप्ति के लिए- सोमवार।
ऋण से छुटकारे के लिए- मंगलवार।
इष्ट प्राप्ति के लिए- बुधवार।
सफलता के लिए - गुरुवार
सौभाग्य के लिए- शुक्रवार।
हर तरह की मनोकामना के लिए- शनि प्रदोष शुभ है।
इस तरह हर प्रदोष व्रत के दिन पूजन करने से सौभाग्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।