पोंगल एक हिन्दू त्योहार है। दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार पोंगल मकर संक्रांति के आसपास ही आता है। यह त्योहार वहां पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि पोंगल का पर्व कब मनाया जाएगा, क्यों मनाया जाता है और खासकर कहां मनाया जाता है। पोंगल के पारंपरिक व्यंजन और अन्य खास बातें।
पोंगल कब है : पोंगल का पर्व मकर संक्रांति यानी की 15 जनवरी 2023 रविवार को मनाया जाएगा।
पोंगल कहा मनाते हैं : वैसे तो संपूर्ण दक्षिण भारत में ही पोंगल मनाया जाता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रचलन तमिलनाडु में है। पोंगल तमिलनाडु का प्रमुख पर्व है अत: इसे पारंपरिक रूप से चार दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल पर्व तमिलानाडु के अलावा अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, मॉरिशस आदि में भी मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं पोंगल : पोंगल चार दिवसीय उत्सव है। पोंगल का सबसे महत्वपूर्ण दिन थाई पोंगल के रूप में जाना जाता है। थाई पोंगल, चार दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है, जिसे संक्रान्ति के रूप में भी मनाया जाता है। थाई पोंगल से पिछले दिन को भोगी पण्डिगाई के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग अप्रयुक्त वस्तुओं को त्यागने के लिए अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं तथा अलाव जलाते हैं।
क्यों मनाते हैं पोंगल : यह भी सूर्य के उत्तरायण का त्योहार है। यह फसल की कटाई का उत्सव होता है। पोंगल के दिनों में घर के मुख्य द्वार पर रंगोली (Rangoli) बनाई जाती है। इस दिन खेत में उगी फसल का विशेष भोग सूर्यदेव (Suryadev) को लगाया जाता है, जिसे पोंगल कहा जाता है। इस दिन प्रातः पांच बजे घर की पुरानी चीजों को घर के बाहर करके जलाया जाता है। तत्पश्चात इंद्रदेव का पूजन करते हैं, जिसे मोगी पंडी (Monga Pandi) कहते हैं। थाई पोंगल के दूसरे दिन मट्टू पोंगल मनाते हैं। इस दिन मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। पोंगल के अंतिम दिन को कानुम पोंगल मनाते हैं। इस दिन पारिवारिक मिलन का समय होता है।
व्यंजन : मकर संक्रांति पर नई फसल के आगमन की खुशी में मनाए जाने वाले इस पर्व का अर्थ है खिचड़ी। इस दिन नए मटके में नए चावल, नया गुड़ तथा ताजे दूध से मीठी खिचड़ी (Mithi Khichadi) बनाई जाती है। थाई पोंगल के दिन, एक नये मिट्टी के पात्र में कच्चे दूध, गुड़ तथा नयी फसल के चावलों को उबालकर एक विशेष व्यञ्जन पकाया जाता है। इस विशेष व्यञ्जन को ही पोंगल कहा जाता है।