Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

मेष संक्रांति की 5 खास बातें जानिए

हमें फॉलो करें मेष संक्रांति की 5 खास बातें जानिए

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 11 अप्रैल 2020 (14:26 IST)
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करने को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग ही महत्व होता है। वारयुक्त और नक्षत्रयुक्त संक्रांति का अलग अलग फल भी होता है। जानिए मेष संक्रांति की 5 खास बातें। इस बार 13 अप्रैल 2020 को सूर्य मीन से निकलकर मेष में जाएगा।
 
 
1. इस दिन से होता सौर माह प्रारंभ : सूर्य जब मेष राशि में संक्रमण करता है तो उसे मेष संक्रांति कहते हैं। मीन राशि से मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। यह मास प्राय: तीस दिन का होता है। सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहता है। सौर माह का पहला माह है मेष।
 
 
2. सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन।
 
 
3. सूर्य की आधी यात्रा पूर्ण : खगोलशास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य उत्तरायन की आधी यात्रा पूर्ण कर लेते हैं। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का।
 
 
4. सौर वैशाख माह भी प्रारंभ : चंद्रमास अनुसार यह बैसाख माह के शुरुआती दिन भी होते हैं, तो इस दिन पंजाब में बैसाख पर्व मनाया जाता है। बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस प्रकार वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया।
 
 
भारतभर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। इसे दूसरे नाम से 'खेती का पर्व' भी कहा जाता है। कृषक इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है, तब यह पर्व मनाया जाता है।
 
 
5. उत्सव और व्रतों का समय : जब सूर्य उत्तरायण होता है तब हिंदू धर्म अनुसार यह तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। पुराणों अनुसार अश्विन, कार्तिक मास में तीर्थ का महत्व बताया गया है। उत्तरायण के समय पौष-माघ मास चल रहा होता है।
 
 
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य कुंभ से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रतों का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार आषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। व्रत से रोग और शोक मिटते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दरवाजे को इन 5 वस्तुओं से सजाएं तो होंगे 5 फायदे