Mahesh Jayanti 2020 : जानिए भगवान शिव के 10 लाइफ मैनेजमेंट सूत्र

Webdunia
Mahesh Navami 2020
 
प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी पर्व मनाया जाता है। यह माहेश्वरी समाज के लोगों का प्रमुख त्योहार है। इस वर्ष माहेश्वरी समाज द्वारा महेश नवमी पर्व 31 मई को 2020, रविवार को मनाया जाएगा। 
महेश स्वरूप में आराध्य भगवान 'शिव' पृथ्वी से भी ऊपर कोमल कमल पुष्प पर बेलपत्ती, त्रिपुंड, त्रिशूल, डमरू के साथ लिंग रूप में शोभायमान होते हैं। भगवान शिव के इस बोध चिह्न के प्रत्येक प्रतीक का अपना महत्व है। आइए जानें भगवान शिव के 10 लाइफ मैनेजमेंट सूत्र - 
 
1. पृथ्वी : पृथ्वी गोल परिधि में है परंतु भगवान महेश ऊपर हैं अर्थात पृथ्वी की परिधि भी जिन्हें नहीं बाँध सकती वह एक लिंग भगवान महेश संपूर्ण ब्रह्मांड में सबसे ऊपर हैं।
 
2. त्रिपुंड : इसमें तीन आड़ी रेखाएं हैं, जो कि संपूर्ण ब्रह्मांड को समाए हुए हैं। एक खड़ी रेखा यानी भगवान शिव का ही तीसरा नेत्र, जो कि दुष्टों के दमन हेतु खुलता है। यह त्रिपुंड भस्म से ही लगाया जाता है जो कि देवाधिदेव महादेव की वैराग्य वृत्ति के साथ ही त्यागवृत्ति की ओर इंगित करता है तथा हमें आदेश देता है कि हम भी अपने जीवन में हमेशा त्याग व वैराग्य की भावना को समाहित कर समाज व देश का उत्थान करें।
 
3. त्रिशूल : विविध तापों को नष्ट करने वाला एवं दुष्ट प्रवृत्ति का दमन कर सर्वत्र शांति की स्थापना करता है।
 
4. डमरू : स्वर, संगीत की शिक्षा देकर कहता है उठो, जागो और जनमानस को जागृत कर समाज व देश की समस्याओं को दूर करो, परिवर्तन का डंका बजाओ।
 
5. कमल : जिसमें नौ पंखुड़ियां हैं, जो कि नौ दुर्गाओं का द्योतक है। नवमी ही हमारा उत्पत्ति दिवस है। कमल ही ऐसा पुष्प है जिसे भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से अंकुरित कर ब्रह्माजी की उत्पत्ति की। महालक्ष्मी कमल पर ही विराजमान हैं व दोनों हाथ में कमल पुष्प लिए हैं। ज्ञान की देवी सरस्वतीजी भी श्वेत कमल पर विराजमान हैं। इतना ही नहीं कमल कीचड़ में खिलता है, जल में रहता है, परंतु किसी में भी लिप्त नहीं। अतः यही भाव हमारे समाज का होना चाहिए। काम करेंगे-करते रहेंगे, न कोई फल की इच्छा, न कोई पद की चाह, न कोई मान-सम्मान। बस हम भी कमल की तरह खिलते रहें, मंगल करते रहें। 
 
6. ॐ : कमल की बीच की पंखुड़ी पर अंकित है ॐ। अखिल ब्रह्मांड का द्योतक, सभी मंगल मंत्रों का मूलाधार, परमात्मा के अनेक रूपों का समावेश किए सगुण-निर्गुणाकार एकाक्षर ब्रह्म आदि से सारे ग्रंथ भरे पड़े हैं। हमारा समाज आस्तिक एवं प्रभु पर विश्वास एवं श्रद्धा रखने वाला है। अतः ईश्वरीय श्रद्धा का प्रतीक है ॐ।
 
7. बेलपत्ती : त्रिदलीय बिल्व पत्र हमारे स्वास्थ्य का द्योतक है। भगवान महेश के चरणों में अर्पित है श्रद्धा युक्त बेलपत्र, जो कि शिव को परमप्रिय है।
 
8. सेवा : समाज का बहुत बड़ा ऋण हमारे ऊपर रहता है। अतः ये नहीं सोचें कि समाज ने हमें क्या दिया वरन समाज को हम क्या दे रहे हैं। यही सेवा भाव होना चाहिए। जैसे माता पुत्र की सेवा करती है, परंतु बदले में कुछ नहीं चाहती। सेवा में अनेक समस्याएं  आती हैं, जिन्हें हम सुलझा सकते हैं।
 
9. त्याग : त्याग की महिमा से तो हिन्दुओं के ही नहीं संसार के समस्त धर्मों के शास्त्र भरे पड़े हैं। हमारे पूर्वज सादगीपूर्ण जीवन अपनाकर बची पूंजी समाजोपयोगी कार्य में लगाकर स्वयं को धन्य मानते थे।
 
10. सदाचार : मानव जीवन में सदाचार का बहुत ऊंचा स्थान है। जिस व्यक्ति में, परिवार में, समाज में चरित्रहीनता, व्यसनाधीनता, अनैतिकता, गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार आदि बड़े पैमाने पर व्याप्त हों तो उस समाज की उन्नति नहीं हो सकती और जब समाज प्रगति नहीं करता तो उस देश की प्रगति नहीं होती। अत. व्यक्ति का सदाचारी होना आवश्यक है।
 
सेवा, त्याग, सदाचार युक्त यह बोध चिह्न सिर्फ बोध चिह्न नहीं अपितु समाज को गौरवान्वित करके जीवन में एक नई शक्ति का द्योतक है। अतः इस बहुउद्देशीय बोध चिह्न को हम अपने जीवन में भी स्वीकार करें व समाज एवं राष्ट्रहित के लिए अपने को समर्पित करें।
 
- सुनील लखोटिया

ALSO READ: शुक्र यदि है ग्यारहवें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

सम्बंधित जानकारी

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi Vivah vidhi: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

Aaj Ka Rashifal: 09 नवंबर 2024 : क्या लाया है आज का दिन आपके लिए, पढ़ें दैनिक राशिफल

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

अगला लेख
More