Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

aghan guruwar 2021 date : अगहन मास का तीसरा गुरुवार, इस दिन क्या करें, जानें महत्व एवं 11 खास बातें

हमें फॉलो करें aghan guruwar 2021 date : अगहन मास का तीसरा गुरुवार, इस दिन क्या करें, जानें महत्व एवं 11 खास बातें
9 दिसंबर 2021 को मार्गशीर्ष मास का तीसरा गुरुवार व्रत (Thursday Laxmi Puja) किया जाएगा। इस दिन व्रत करने से जीवन में सुख-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। अगहन/ मार्गशीर्ष मास में लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष माने जाने अगहन गुरुवार व्रत जहां 25 नवंबर को पहला मनाया गया, वहीं दूसरा अगहन गुरुवार 2 दिसंबर 2021 को मनाया गया। इस बार 9 दिसंबर 2021 (aghan guruwar 2021 date) को मार्गशीर्ष मास के तीसरे गुरुवार की पूजा की जाएगी। और चौथा अगहन गुरुवार व्रत 16 दिसंबर 2021 को रखा जाएगा। 
 
मान्यतानुसार इस दिन देवी लक्ष्मी की स्थापना और पूजन की पौराणिक परंपरा है। मान्यता है कि पूरे अगहन मास में अथवा मार्गशीर्ष गुरुवार के दिन तुलसी और लक्ष्मी जी का पूजन एकसाथ करने और अन्न दान करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में स्थिर लक्ष्मी का स्थायित्व हमेशा बना रहता है।


अगहन के प्रत्येक गुरुवार के दिन लक्ष्मी पूजा का सनातन धर्म में भी उल्लेख किया गया है। ग्रंथों में इसका वर्णन इस प्रकार मिलता है कि अगहन गुरुवार को अगर सुहागिन महिलाएं बुधवार की रात्रि घर की साफ-सफाई करके पूर्ण निष्ठा से लक्ष्मीदेवी की उपासना करती हैं तो देवी प्रसन्न होकर वहां स्थायी निवास करती हैं। 
 
आज के बदलते समय में भी कई स्थानों पर इस परंपरा का निर्वाह बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। यह व्रत करने के बाद सुहागिन महिलाएं परिवार के लोगों को घर की लक्ष्मी को खर्च करने से भी रोकती हैं। इसके चलते परिवार में धनलक्ष्मी का वास हमेशा रहता है। 
 
मार्गशीर्ष बृहस्पतिवार की 11 खास बातें Agahan Thursday Laxmi Puja
 
इस दिन खास तौर पर गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मां लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। 
 
मार्गशीर्ष बृहस्पतिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर चार पहर तक विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। 
 
इन दिनों घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाती है। 
 
इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सुबह पूजा करती हैं और दोपहर में अगहन बृहस्पतिवार की कथा सुनी-पढ़ी जाती है।
 
महिलाएं इस दिन हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थान पर चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाती है। 
 
इन अल्पनाओं में धन की देवी मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाते है। 
 
मां लक्ष्मी को विशेष पकवानों का भोग लगाया जाता है। 
 
सायंकाल के समय देवी लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजा कर लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है। 
 
पूजन के बाद शाम को प्रसाद खाने-खिलाने का आरंभ होता है, जिसमें आस-पड़ोस की महिलाओं, बहू-बेटियों को इसके लिए विशेष रूप से निमंत्रण देकर बुलाया जाता है। इस तरह अगहन मार्गशीर्ष मास देवी लक्ष्मी की स्थापना करके विधि-विधान से पूजन करके आशीर्वाद और वरदान प्राप्त किया जाता है। 
 
इसके बाद संध्या के समय दीपदान की परंपरा भी है।
 
मार्गशीर्ष माह में जो सुहागन स्त्री पूरी श्रद्धा से लक्ष्मी जी की उपासना करती हैं, उनके घर में धन, खुशहाली, सुख-समृद्धि और वैभव निरंतर बना रहता है। Laxmi Puja Thursday 

webdunia

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

09 दिसंबर को स्कंद षष्ठी व्रत, जानिए महत्व, पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त