Lalita Shashthi : त्रिपुर सुंदरी ललिता देवी के 5 रहस्य

अनिरुद्ध जोशी
दस महाविद्याओं की साधना करना बहुत ही कठिन है लेकिन यदि साधना सफल हो जाती है तो होता है चमत्कार। दस महाविद्याओं में से एक है माता ललिता। इन्हें राज राजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है। आओ जानते हैं माता के 5 रहस्य।
 
1. शक्तिपीठ : भारतीय राज्य त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ है माना जाता है कि यहां माता के धारण किए हुए वस्त्र गिरे थे। त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक है।
 
दक्षिणी-त्रिपुरा उदयपुर शहर से तीन किलोमीटर दूर, राधा किशोर ग्राम में राज-राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का भव्य मंदिर स्थित है, जो उदयपुर शहर के दक्षिण-पश्चिम में पड़ता है। यहां सती के दक्षिण 'पाद' का निपात हुआ था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुंदरी तथा शिव त्रिपुरेश हैं। इस पीठ स्थान को 'कूर्भपीठ' भी कहते हैं।
 
2.त्रिपुर सुंदरी : देवी ललिता को त्रिपुर सुंदरी भी कहते हैं। षोडशी माहेश्वरी शक्ति की विग्रह वाली शक्ति है। इनकी चार भुजा और तीन नेत्र हैं। इनमें षोडश कलाएं पूर्ण है इसलिए षोडशी भी कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि महाविद्या समुदाय में त्रिपुरा नाम की अनेक देवियां हैं, जिनमें त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुर सुंदरी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
 
3. त्रिपुर सुंदरी या ललिता माता का मंत्र- दो मंत्र है। रूद्राक्ष माला से दस माला जप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।
 
1.  'ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:'
2. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'
 
4. ललिता देवी की साधना : ललिता माता की पूजा-अर्चना, व्रत एवं साधना मनुष्य को शक्ति प्रदान करते हैं। ललिता देवी की साधान से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है तथा ललितोपाख्यान, ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ किया जाता है। 
 
5. पुराण में वर्णन : देवी ललिता आदि शक्ति का वर्णन देवी पुराण में प्राप्त होता है। भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर सती नैमिष में लिंगधारिणीनाम से विख्यात हुईं इन्हें ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। एक अन्य कथा अनुसार ललिता देवी का प्रादुर्भाव तब होता है जब भगवान द्वारा छोडे गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा। इस स्थिति से विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगती है। तब सभी ऋषि माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी चक्र को थाम लेती हैं। सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru vakri 2024: गुरु वक्री होकर इन 3 राशियों पर बरसाएंगे अपनी कृपा

Mangal gochar 2024: मंगल का मिथुन राशि में प्रवेश, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Budh uday : बुध का कर्क राशि में उदय, 3 राशियों के लिए है बेहद ही शुभ

Ganesh chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी उत्सव पर क्या है गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त?

Hartalika teej Niyam: हरतालिका तीज व्रत के 10 खास नियम

सभी देखें

धर्म संसार

28 अगस्त 2024 : आपका जन्मदिन

28 अगस्त 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Bhadrapada amavasya 2024: भाद्रपद अमावस्या व्रत के 7 धार्मिक कर्म एवं महत्व

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त टाइम

देश में स्थित हैं 4 प्रमुख वराह मंदिर

अगला लेख
More