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2025 में कब है पोंगल, जानें 4 दिनों तक क्यों मनाया जाता है यह पर्व?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 13 जनवरी 2025 (16:44 IST)
2025 pongal : पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाने वाला एक तमिल पर्व है तथा इसी दिन से ही तमिल नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। यह चार दिनों का पर्व होता हैं। यह पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व और एक हिन्दू त्योहार है, जो मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। इस बार पोंगल का त्योहार 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जा रहा है।ALSO READ: pongal date 2025: पोंगल का त्योहार क्यों और कैसे मनाते हैं?

आइए जानते हैं यहां इस पर्व से संबंधित 4 दिनों के बारे में...
 
Highlights
  • पोंगल का त्योहार कब है? 
  • हर साल पोंगल कब मनाया जाता है?
  • पोंगल के पहले दिन क्या होता है?
धार्मिक तथा ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से मकर संक्रांति, लोहड़ी तथा पोंगल का पर्व मनाया जाता है।

इस पोंगल के 4 दिनों में खास कर यह दिन मनाए जाते हैं :
 
1. पहला दिन- भोगी पोंगल,
2. दूसरा दिन- थाई पोंगल,
3. तीसरा दिन- मात्तु पोंगल,
4. चौथा दिन- कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है।ALSO READ: मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और उत्तरायण का त्योहार कब रहेगा?
 
* पोंगल के पहले दिन तमिलनाडु के लोग नववर्ष की शुरुआत को लेकर 'भोगी' का त्योहार मनाते हैं। इसमें पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है, जिससे पर्यावरण और पूरा वा‍तावरण स्वच्छ हो जाता है। और इस दिन पुराने सामानों को होली की तरह जलाकर नाच-गान, नृत्य आदि किया जाता है। साथ ही इंद्रदेव का पूजन करके अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हैं।
 
* दूसरा दिन 'थाई पोंगल' का होता है, जो कि खासकर सूर्यदेव की पूजा करके अच्छी फसल के लिए उनका आभार व्यक्त करते हुए विशेष खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसे पोंगल खीर भी कहते हैं।
 
* तीसरा दिन 'मात्तु पोंगल' के रूप में जाना जाता है, जिसमें बैल, गाय, सांड आदि के सींगों को रंग कर उन्हें सजाया जाता है तथा उनका विधिवत पूजन करके जलीकट्टू यानि बैलों की दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। और बहुत हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया जाता है।
 
* चौथा दिन 'कन्या पोंगल' का होता है, जिसे तिरुवल्लूर के नाम से भी जाना जाता हैं। तथा यह पर्व के समापन का दिन भी है। इस दिन खास आयोजन होते हैं, जैसे घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना, नारियल या आम के पत्तों से तोरण बनाकर घर तथा दरवाजों को सजाना मुख्य कार्य होता है। इस दिन साफ-सफाई के पश्चात फूलों से घर को आकर्षक रूप में सजाया भी जाता है।

इसके साथ ही तरह-तरह के भोग बनाकर सूर्यदेव को प्रसाद अर्पित किया जाता है, जिसमें पोंगल नामक एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है जो मिट्टी के बर्तन में मुख्यत: दूध, नए धान/चावल, मूंग दाल, चीनी/गुड और घी का प्रयोग करके तैयार की जाती है। इस तरह 4 दिनों तक चलने वाले पोंगल पर्व में प्रतिदिन अलग-अलग पूजन करके इसे एक उत्सव के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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