Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कालाष्टमी : कैसे करें भैरवनाथ की पूजा, आरती और जानिए खास शाबर मंत्र

हमें फॉलो करें कालाष्टमी : कैसे करें भैरवनाथ की पूजा, आरती और जानिए खास शाबर मंत्र
, शनिवार, 27 नवंबर 2021 (09:58 IST)
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस दिन भैरवबाबा की विधिवत पूजा और अर्चना करने से सभी तरह के कष्‍ट दूर हो जाते हैं। सभी तरह के जादू, टोने से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति शांति पाता है। कालभैरव अष्टमी पर किस तरह करें भैरवनाथ की पूजा और क्या है उनका खास मंत्र, आओ संक्षिप्त में जानते हैं। इस बार कलाष्टमी 27 नवंबर 2021 को है।
 
भैरव बाबा की पूजा एक तो साधारण होती है और दूसरी तांत्रिक। यहां साधारण पूजा के बारे में जानिए। इस दिन भगवान शिव के स्‍वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
 
काल भैरव की पूजा विधि : (Kaal Bhairav Puja Vidhi )
1. इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं।
2. एक लकड़ी के पाट पर सबसे पहले शिव और पार्वतीजी के चित्र को स्थापित करें। फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
3. जल का छिड़काव करने के बाद सभी को गुलाब के फूलों का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं।
4. अब चौमुखी दीपक जलाएं और साथ ही गुग्गल की धूप जलाएं।
5. कंकू, हल्दी से सभी को तिलक लगाकर हाथ में गंगा जल लेकर अब व्रत करने का संकल्प लें।
6. अब शिव और पार्वतीजी का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
7. फिर भगवान भैरव का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
8. इस दौरान शिव चालीसा और भैरव चालीसा पढ़ें।
9. ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें। इसके उपरान्त काल भैरव की आराधना करें।
10. अब पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
11. व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं या कच्चा दूध पिलाएं।
12 अंत में श्वान का पूजन भी किया जाता है।
13. अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
14. इस दिन लोग व्रत रखकर रात्रि में भजनों के जरिए उनकी महिमा भी गाते हैं।
webdunia
Kaal Bhairav Stuti
भैरव भोग : कई लोग इस दिन उन्हें शराब का भोग लगाते हैं। हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। इसके अलावा इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।
 
काल भैरव मंत्र:
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
 
अन्य मंत्र:
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
 
नारद पुराण के अनुसार कालभैरव की पूजा करने से मनुष्‍य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्‍य किसी रोग से लम्बे समय से पीड़ित है तो वह रोग, तकलीफ और दुख भी दूर होती हैं।
 
काल भैरव आरती:
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
 
सिद्ध शाबर मंत्र:
ॐ काला भैरू, कपिला केश। काना कुंडल भगवा वेष।
तीर पतर लियो हाथ, चौसठ जोगनिया खेले पास।
आस माई, पास माई। पास माई सीस माई।
सामने गादी बैठे राजा, पीडो बैठे प्राजा मोहे।
राजा को बनाऊ कुकडा। प्रजा बनाऊ गुलाम।
शब्द सांचा, पींड काचा। राजगुरु का बचन जुग जुग साचा।
सतनाम आदेश गुरुजी को आदेश आदेश।
 
दूसरा शाबर मंत्र :
ॐ गुरुजी काला भैरुँ कपिला केश, काना मदरा, भगवाँ भेस।
मार-मार काली-पुत्र। बारह कोस की मार, भूताँ हात कलेजी खूँहा गेडिया।
जहाँ जाऊँ भैरुँ साथ। बारह कोस की रिद्धि ल्यावो। चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो।
सूती होय, तो जगाय ल्यावो। बैठा होय, तो उठाय ल्यावो।
अनन्त केसर की भारी ल्यावो। गौरा-पार्वती की विछिया ल्यावो।
गेल्याँ की रस्तान मोह, कुवे की पणिहारी मोह, बैठा बाणिया मोह,
घर बैठी बणियानी मोह, राजा की रजवाड़ मोह, महिला बैठी रानी मोह।
डाकिनी को, शाकिनी को, भूतनी को, पलीतनी को, ओपरी को, पराई को,
लाग कूँ, लपट कूँ, धूम कूँ, धक्का कूँ, पलीया कूँ, चौड़ कूँ, चौगट कूँ, काचा कूँ,
कलवा कूँ, भूत कूँ, पलीत कूँ, जिन कूँ, राक्षस कूँ, बरियों से बरी कर दे।
नजराँ जड़ दे ताला, इत्ता भैरव नहीं करे,
तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे, माता पार्वती का चीर फाड़ लँगोट करे।
चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई बार?
खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कूण पूजा मेटे।
राजा मेटे राज से जाय, प्रजा मेटे दूध-पूत से जाय, जोगी मेटे ध्यान से जाय।
शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
 
उल्लेखनीय है कि उक्त शाबर मंत्र की जप और साधना विधि जानकर ही इसका जप करें। यहां सिर्फ जानकारी के लिए ही यह मंत्र दिया गया है। किसी योग्य जानकार से ही जानकर इस मंत्र का जप करें, क्योंकि भैरवनाथ के शाबर मं‍त्र कई है और सभी मंत्रों के कार्य अलग अलग है। आपके उद्येश्य के अनुसार ही मंत्र का चयन करना होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Horoscope 27 November राशिफल शनिवार, 27 नवंबर 2021: निवेश, नौकरी, व्यापार और सेहत, जानें कैसा बीतेगा दिन