हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और कुंआरी लड़कियों को मनभावन पति मिलता है। देवी पार्वती ने स्वयं इस व्रत को कर भगवान शिव को प्राप्त किया था।
ऐसी महिमा वाले इस परम पवित्र तीज को हर विवाहित तथा अविवाहित स्त्री को करना चाहिए। इस पर्व को पर्यावरण से जोड़कर भी देखा जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं सावन के बाद आई नई 16 तरह की पत्तियों को शिवजी को चढ़ाकर अपने घर में हर प्रकार की वृद्धि का वर मांगती हैं।
जानिए, कौन सी पत्तियां चढ़ाएं, हर पत्ती से जुड़ा है विशेष आशीर्वाद
बिल्वपत्र : सौभाग्य
तुलसी : चरित्र
जातीपत्र : संतान
सेवंतिका : दांपत्य सुख
बांस : वंश वृद्धि
देवदार पत्र : ऐश्वर्य
चंपा : सौंदर्य और सेहत
कनेर : यश और सुख
अगस्त्य : वैभव
भृंगराज : पराक्रम
धतूरा : मोक्ष प्राप्ति
आम के पत्ते : मंगल कार्य
अशोक के पत्ते : शांति प्रिय जीवन
पान के पत्ते : परस्पर प्रेम में वृद्धि
केले के पत्ते : सफलता
शमी के पत्ते धन और समृद्धि
इस प्रकार 16 प्रकार की पत्तियां से षोडश उपचार पूजा करनी चाहिए।
क्या करें
निराहार रहकर व्रत करें।
रात्रि जागरण कर भजन करें।
बालू के शिवलिंग की पूजा करें।
सखियों सहित शंकर-पार्वती की पूजा रात्रि में करें।
पत्ते उलटे चढ़ाना चाहिए तथा फूल व फल सीधे चढ़ाना चाहिए।
हरतालिका तीज की कथा गाना अथवा श्रवण करें।