हरियाली अमावस्या को श्रावण अमावस्या, श्रावणी अमावस्या, हरी भरी अमावस्या, दीप पूजा अमावस्या, चित लगी अमावस्या आदि अनेक नामों से जाना जाता है।
यह अमावस्या 1 अगस्त 2019, गुरुवार को है। यह अमावस्या पितरों को भी प्रसन्न करने का दिन होता है। जाने-अनजाने में पितरों का निरादर हुआ हो या पितरों का अंतिम कर्म ठीक से नहीं हो पाया हो तो परिवार पर कई तरह के संकट आने लगते हैं। इन संकटों से परिवार की रक्षा करने के लिए हरियाली अमावस्या पर अनेक प्रकार के उपाय किए जाते हैं।
इस दिन क्या करें
हरियाली अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके, उसके किनारे बैठकर किसी पंडित से पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्धकर्म करवाया जाए तो पितरों को शांति मिलती है। यह कर्म करने के बाद पितरों के नाम से गरीबों को भोजन करवाएं, गाय को चारा खिलाएं, गरीबों को वस्त्र आदि भेंट करना चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन दोपहर 12 बजे के पूर्व पीपल के पेड़ के पेड़ की 21 परिक्रमा करते हुए जल अर्पित करें। पीपल के पेड़ का पूजन कर मौली के 21 फेरे बांधें। शाम को सूर्यास्त से पूर्व पीपल के पेड़ के नीचे आटे से पांच दीपक बनाकर प्रज्जवलित करें। इससे धन संबंधी समस्या समाप्त होती है। यह प्रक्रिया सूर्यास्त के बाद बिलकुल न करें।
अमावस्या के दिन दृष्टिहीन, अपंग, मंदबुद्धि, लंगड़े या जिनका कोई अंग भंग हो गया हो, ऐसे लोगों को वस्त्र भोजन भेंट करें। इससे जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है। हरियाली अमावस्या की रात्रि में दीपदान का बड़ा महत्व है। इस दिन रात्रि में किसी नदी, तालाब में दीपदान करना चाहिए। इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
मेष : लाल राईं या सरसों का तेल किसी गरीब को दान में दें।
वृषभ : गौशाला में गाय-बछड़ों के लिए हरा चारा दान करें।
मिथुन : उड़द के आटे की गोलियां बनाकर मछलियों के लिए तालाब या नदी में डालें।
कर्क : काले पत्थर के शिवलिंग पर कच्चे दूध से अभिषेक करें। नि:शक्तों को मीठे चावल खिलाएं।
सिंह : गरीबों को गेहूं दान करें। दुर्गा देवी का पूजन लाल फूलों से करें।
कन्या : तुलसी के 11 पौधे भेंट करें। बरगद के पेड़ में जल अर्पित करें और पेड़ के नीचे बाजरा बिखेर दें।
तुला : शिव या हनुमान मंदिर में दर्शन करें। गरीब कन्याओं को दूध और दही का दान दें।
वृश्चिक : पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर पूजन करें। शाम को दीप दान करें।
धनु : दृष्टिहीन बालक को मीठा दूध पिलाएं। गरीब परिवार में चने की दाल या बेसन से बनी मिठाई दान करें। मकर : पक्षियों को बाजरा डालें। शनिदेव का पूजन नीले पुष्पों से करें। शमी का पौधा लगाएं।
कुंभ : बहते पानी में सवा पाव चावल और 2 नारियल प्रवाहित करें। शनि मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को भोजन करवाएं।
मीन : मिट्टी के पात्र में शहद भरकर मंदिर में रखकर आएं। चीटियों के बिल में आटा रखें।
अमावस्या तिथि कब से कब तक अमावस्या प्रारंभ 31 जुलाई को प्रात: 11.57 बजे से अमावस्या पूर्ण 1 अगस्त को प्रात: 8.41 बजे तक