Festival Posters

Govatsa Dwadashi 2025: गोवत्स द्वादशी कब है? जानें व्रत के नियम, मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा

WD Feature Desk
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (09:38 IST)
2025 Govatsa Dwadashi Vrat: गोवत्स द्वादशी का त्योहार हिंदू धर्म में गाय और बछड़े के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे महाराष्ट्र में वासु बारस तथा गुजरात में इसे वाघ बरस नाम से जाना जाता है। यह दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है, जो आमतौर पर धनतेरस से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है।ALSO READ: Diwali 2025: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, अन्नकूट, गोवर्धन और भाई दूज की पूजा के शुभ मुहूर्त

इसे अन्य नाम बछ बारस, नंदिनी व्रत और वत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गौ माता (गाय) और उनके बछड़े (वत्स) की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए रखती हैं। इस दिन गाय के दूध और गेहूं से बने उत्पादों का सेवन वर्जित होता है। 
 
गोवत्स द्वादशी 2025 कब है? पंचांग के अनुसार, गोवत्स द्वादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार दीपावली और धनतेरस से पूर्व यह त्योहार शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को मनाया जा रहा है। यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधिल नियम और कथा...
 
गोवत्स द्वादशी 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के पूजन मुहूर्त: 
 
कार्तिक कृष्ण द्वादशी तिथि का प्रारम्भ- 17 अक्टूबर, 2025 को 11:12 ए एम बजे
द्वादशी तिथि समाप्त- 18 अक्टूबर, 2025 को 12:18 पी एम पर होगा। 
 
गोवत्स द्वादशी पूजा का समय: 
प्रदोष काल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त- 05:49 पी एम से 08:20 पी एम
अवधि- 02 घण्टे 31 मिनट्स
 
गोवत्स द्वादशी की पूजा विधि:ALSO READ: Diwali 2025 date: दिवाली कब है वर्ष 2025 में, एक बार‍ फिर कन्फ्यूजन 20 या 21 अक्टूबर?
 
* स्नान और संकल्प: गोवत्स द्वादशी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
अपने घर के मंदिर या पूजा स्थान पर गाय और बछड़े की पूजा करने का संकल्प लें।
 
* गौ माता की पूजा: अगर आपके आस-पास गाय और बछड़ा उपलब्ध है, तो उन्हें साफ करके स्नान कराएं। 
यदि ऐसा संभव न हो, तो गाय और बछड़े की मिट्टी से बनी मूर्ति या तस्वीर की पूजा करें।
 
* श्रृंगार: गौ माता और बछड़े को रोली (कुमकुम) और हल्दी का तिलक लगाएं। उन्हें फूलों की माला पहनाएं और नए वस्त्र/ओढ़नी अर्पित करें।
 
* पूजा सामग्री अर्पण: गाय को हरी घास, चने की दाल (या अंकुरित मूंग), जल और फल खिलाएं।
 
* आरती और कथा: धूप और दीप जलाकर गौ माता की आरती करें। 
 
* इसके बाद, संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए गोवत्स द्वादशी की पौराणिक कथा सुनें या पढ़ें।
 
* पारण: व्रत का पारण अगले दिन, यानी त्रयोदशी तिथि को, गौ माता की पूजा के बाद ही करें।
 
गोवत्स द्वादशी व्रत के नियम
 
- यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी उम्र और परिवार के सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। 
 
- इस दिन गौ माता और बछड़े की पूजा का विशेष महत्व है।
 
- व्रती (व्रत करने वाले) को इस दिन गेहूं और चावल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
 
- गायों से प्राप्त होने वाले दूध या दूध से बने उत्पाद जैसे दही, घी आदि का सेवन करना वर्जित होता है। इसके बजाय, भैंस के दूध या अन्य फलों का सेवन किया जा सकता है।
 
- इस दिन चाकू या किसी धारदार वस्तु का प्रयोग न करें।ALSO READ: Diwali 2025 kab hai: दिवाली 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर, कब करें लक्ष्मी पूजा?
 
गोवत्स द्वादशी की कथा: 
गोवत्स द्वादशी या बछ बारस की प्रचलित कथा के अनुसार बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक साहूकार अपने सात बेटे और पोतों के साथ रहता था। उस साहूकार ने गांव में एक तालाब बनवाया था लेकिन कई सालों तक वो तालाब नहीं भरा था। तालाब नहीं भरने का कारण पूछने के लिए उसने पंडित को बुलाया। पंडित ने कहा कि इसमें पानी तभी भरेगा जब तुम या तो अपने बड़े बेटे या अपने बड़े पोते की बलि दोगे। 
 
तब साहूकार ने अपने बड़ी बहू को तो पीहर भेज दिया और पीछे से अपने बड़े पोते की बलि दे दी। इतने में गरजते-बरसते बादल आए और तालाब पूरा भर गया। इसके बाद बछ बारस आई और सभी ने कहा कि अपना तालाब पूरा भर गया है इसकी पूजा करने चलो। साहूकार अपने परिवार के साथ तालाब की पूजा करने गया। वह दासी से बोल गया था गेहुंला को पका लेना। साहूकार के कहें अनुसार गेहुंला से तात्पर्य गेहूं के धान से था। दासी समझ नहीं पाई।
 
दरअसल, गेहुंला गाय के बछड़े का भी नाम था। उसने गेहुंला को ही पका लिया। बड़े बेटे की पत्नी भी पीहर से तालाब पूजने आ गई थी। तालाब पूजने के बाद वह अपने बच्चों से प्यार करने लगी तभी उसने बड़े बेटे के बारे में पूछा। तभी तालाब में से मिट्‍टी में लिपटा हुआ उसका बड़ा बेटा निकला और बोला, मां मुझे भी तो प्यार करो। तब सास-बहू एक-दूसरे को देखने लगी। 
 
सास ने बहू को बलि देने वाली सारी बात बता दी। फिर सास ने कहा, बछ बारस माता ने हमारी लाज रख ली और हमारा बच्चा वापस दे दिया। तालाब की पूजा करने के बाद जब वह वापस घर लौटीं तो देखा, बछड़ा नहीं था। साहूकार ने दासी से पूछा, बछड़ा कहां है? तो दासी ने कहा कि आपने ही तो उसे पकाने को कहा था।
 
साहूकार ने कहा, एक पाप तो अभी उतरा ही है, तुमने दूसरा पाप कर दिया। साहूकार ने पका हुआ बछड़ा मिट्‍टी में दबा दिया। शाम को गाय वापस लौटी तो वह अपने बछड़े को ढूंढने लगी और फिर मिट्‍टी खोदने लगी। तभी मिट्‍टी में से बछड़ा निकल गया। साहूकार को पता चला तो वह भी बछड़े को देखने गया। उसने देखा कि बछड़ा गाय का दूध पीने में व्यस्त था।

तब साहूकार ने पूरे गांव में यह बात फैलाई कि हर बेटे की मां को बछ बारस का व्रत करना चाहिए। हे बछबारस माता, जैसा साहूकार की बहू को दिया वैसा हमें भी देना। कहानी कहते-सुनते ही सभी की मनोकामना पूर्ण करना। कहीं-कहीं मतांतर से कथा में यह जिक्र भी मिलता है कि गेहूंला और मूंगला दो बछड़े थे जिन्हें दासी ने काटकर पका दिया था इसलिए इस दिन गेहूं, मूंग और चाकू तीनों का प्रयोग वर्जित है।ALSO READ: Diwali pushya nakshatra 2025: दिवाली के पहले पुष्य नक्षत्र कब है, 14 या 15 अक्टूबर 2025?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

November 2025 Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 24-30 नवंबर, इस सप्ताह किन राशियों को मिलेगी बड़ी सफलता, जानें अपना भाग्य

Mulank 5: मूलांक 5 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Lal Kitab Kanya Rashifal 2026: कन्या राशि (Virgo)- राहु करेगा संकट दूर, गुरु करेगा मनोकामना पूर्ण

Shani Margi 2025: 28 नवंबर 2025 को शनि चलेंगे मार्गी चाल, 3 राशियों को कर देंगे मालामाल

Baba Vanga Prediction 2026: बाबा वेंगा की वर्ष 2026 के लिए 5 प्रमुख भविष्यवाणियां

सभी देखें

धर्म संसार

Panchak November 2025: नवंबर 2025 में कब से कब तक है पंचक, जानें समय और प्रभाव

Nanda Saptami 2025: नंदा सप्तमी पर्व, जानें इस व्रत का दिव्य महत्व और रोचक जानकारी

Lal Kitab Meen Rashifal 2026: मीन राशि (Pisces)- शनि और राहु कुछ नहीं कर पाएंगे, क्योंकि चतुर्थ का बृहस्पति देगा सभी को मात

Mulank 9: मूलांक 9 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Mulank 8: मूलांक 8 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

अगला लेख