आज है गंगा सप्तमी, जानिए इस दिन का क्या है महत्व, गंगा जल की 10 विशेषताएं

Webdunia
शनिवार, 7 मई 2022 (11:12 IST)
Ganga Saptami 2022 : प्रतिवर्ष वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 7 मई 2022 शनिवार को मनाई जा रही है। आओ जानते हैं गंगा सप्तसती का महत्व और गंगाजल की 10 विशेषता।
 
 
गंगा सप्तसती का महत्व : वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन मां गंगा (ganga nadi) स्वर्गलोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी, इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। इस संबंध में यह भी कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से 10 पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। गंगा सप्तमी गंगा मैया के पुनर्जन्म का दिन है इसलिए इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। अत: गंगा सप्त
गंगाजल की 10 विशेषताएं (10 important things about the purity of Gangajal) :
 
1. पुराणों में गंगा को स्वर्ग की नदी माना गया है इसीलिए इसका जल सबसे पवित्र माना जाता है।
 
2. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
 
3. गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।  ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
4. शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
 
5. गंगा ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसमें सभी देवी और देवताओं ने स्नान करके इसके जल को पवित्र कर दिया है। हरिद्वार में भगवान विष्णु के चरण कमल इस नदी पर पड़े थे।
 
6. गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयाग और हरिद्वार। जबकि अन्य क्षिप्रा और गोदावरी में एक ही जगह अमृत बूंदे गिरी। अमृत की बूंदे इस गंगाजल में मिलने से संपूर्ण गंगा नदी का जल और भी ज्यादा पवित्र माना जाता है।
 
7. गंगा भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसका प्रादुर्भाव भगवान के श्रीचरणों से ही हुआ है। तभी तो गंगा (मां) के दर्शनों से आत्मा प्रफुल्लित तथा विकासोन्मुखी होती है।
 
8. गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और ना ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। कई घरों में से कई सालों से यह जल रखा हुआ है। गंगा नदी दुनिया की एकमात्र नदी है जिसका जल कभी सड़ता नहीं है। नदी के जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते अर्थात ये ऐसे जीवाणु हैं, जो गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। इसके कारण ही गंगा का जल नहीं सड़ता है। मतलब यह कि वैसे जीवाणु इसमें जिंदा नहीं रह पाते हैं तो जल को सड़ाते हैं। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।
 
9. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। इस कारण पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है।
 
10. गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

28 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति

जानिए क्या है एकलिंगजी मंदिर का इतिहास, महाराणा प्रताप के आराध्य देवता हैं श्री एकलिंगजी महाराज

Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त

अगला लेख
More