Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

गजलक्ष्मी व्रत कब है? क्या है चांदी का हाथी खरीदने का शुभ मुहूर्त और महत्व

हमें फॉलो करें गजलक्ष्मी व्रत कब है? क्या है चांदी का हाथी खरीदने का शुभ मुहूर्त और महत्व
, सोमवार, 12 सितम्बर 2022 (14:59 IST)
महालक्ष्मी व्रत के बाद गजलक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। इस दिन चांदी या चांदी का हाथी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। माता लक्ष्मी के आठ रूप में से ही ही एक रूप में गजलक्ष्मी का रूप। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह गजलक्ष्मी का व्रत आश्‍विन माह की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। आओ जानते हैं कि यह व्रत अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कब है और क्या है खरीदारी के शुभ मुहूर्त।
 
गजलक्ष्मी व्रत के दिन खरीदारी के शुभ मुहूर्त : Gaj lakshmi Vrat 2022 shubh muhurat :
 
- गजलक्ष्मी का व्रत 17 सितंबर 2022 शनिवार के दिन रखा जाएगा।
- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:08 से 12:57 तक।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:35 से 03:24 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:27 से 06:51 तक।
 
- सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:26 से दोपहर 12:21 तक।
- द्विपुष्कर योग : दोपहर 12:21 से 02:14 तक।
- अमृत सिद्धि योग : सुबह 06:26 से 12:21 तक।
- रवि योग : सुबह 06:26 से दोपहर 12:21 तक।
webdunia
गजलक्ष्मी व्रत का महत्व : श्राद्ध पक्ष में यूं तो शुभ कार्य वर्जित होते हैं। नई वस्तुएं खरीदना, नए परिधान पहनना भी निषेध होता है। लेकिन इन 16 कड़वे दिनों में अष्टमी का दिन विशेष रूप से शुभ माना गया है। श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी को लक्ष्मी जी का वरदान प्राप्त है। यह दिन विशेष इसलिए भी है कि इस दिन सोना खरीदने का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा सोना आठ गुना बढ़ता है। साथ ही शादी की खरीदारी के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना गया है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को दिवाली से ज्यादा मान्यता दी जाती है।
 
कौन है गजलक्ष्मी : पशु धन दात्री की देवी को गजलक्ष्मी कहा जाता है। पशुओं में हाथी को राजसी माना जाता है। गजलक्ष्मी ने भगवान इंद्र को सागर की गहराई से अपने खोए धन को हासिल करने में मदद की थी। गजलक्ष्मी का वाहन सफेद हाथी है। पुराणों में एक लक्ष्मी वह है जो समुद्र मंथन से जन्मीं थीं और दूसरी वह है जो भृगु की पुत्रीं थी। भृगु की पुत्री को श्रीदेवी भी कहते थे। उनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था। अष्टलक्ष्मी माता लक्ष्मी के 8 विशेष रूपों को कहा गया है। माता लक्ष्मी के 8 रूप ये हैं- आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
 
समुद्र मंथन की महालक्ष्मी : समुद्र मंथन की लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। उनके हाथ में स्वर्ण से भरा कलश है। इस कलश द्वारा लक्ष्मीजी धन की वर्षा करती रहती हैं। उनके वाहन को सफेद हाथी माना गया है। दरअसल, महालक्ष्मीजी के 4 हाथ बताए गए हैं। वे 1 लक्ष्य और 4 प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं और मां महालक्ष्मीजी सभी हाथों से अपने भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Sankashti Chaturthi के नियम, मंत्र और उपाय