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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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तुलसी विवाह की प्रचलित ग्रामीण लोककथा

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तुलसी विवाह के संबंध में प्राचीन ग्रंथों में कई कथाएं दी गई हैं एक ग्रामीण कथा के अनुसार एक परिवार में ननद-भाभी रहती थीं। ननद अभी कंवारी थी। वह तुलसी की बड़ी सेवा करती थी। पर भाभी को यह सब फूटी आंख नहीं सुहाता था। कभी-कभी तो वह गुस्से में कहती कि जब तेरा विवाह होगा तो तुलसी ही खाने को दूंगी तथा तुलसी ही तेरे दहेज में दूंगी।
 
यथासमय जब ननद की शादी हुई तो उसकी भाभी ने बारातियों के सामने तुलसी का गमला फोड़कर रख दिया। भगवान की कृपा से वह गमला स्वादिष्ट व्यंजनों में बदल गया। गहनों के बदले भाभी ने ननद को तुलसी की मंजरी पहना दी तो वह सोने के आभूषणों में बदल गई। वस्त्रों के स्थान पर तुलसी का जनेऊ रख दिया तो वह रेशमी वस्त्रों में बदल गया।
 
ससुराल में उसके दहेज आदि के बारे में बहुत बढ़ाई हुई। इस पर भाभी को बड़ा आश्चर्य हुआ और तुलसी जी की पूजा का महत्व उसकी समझ में आ गया।
 
भाभी की एक लड़की थी। वह अपनी लड़की से कहती कि तू भी तुलसी की सेवा किया कर, तुझे भी बुआ की तरह फल मिलेगा। पर लड़की का मन तुलसी की सेवा में नहीं लगता था।
 
लड़की के विवाह का समय आया तो भाभी ने सोचा- जैसा व्यवहार मैंने अपनी ननद से किया, उसी के कारण उसे इतनी इज्जत मिली। क्यों न मैं अपनी लड़की के साथ भी वैसा ही व्यवहार करूं। उसने तुलसी का गमला फोड़कर बारातियों के सामने रख दिया परंतु इस बार मिट्टी मिट्टी ही रही। मंजरी व पत्ते भी अपने पूर्व रूप में ही रहे तथा जनेऊ जनेऊ ही रहा। सभी बाराती भाभी की बुराई करने लगे। ससुराल में सभी लड़की की बुराई कर रहे थे।
 
भाभी ननद को कभी घर नहीं बुलाती थी। भाई ने सोचा- मैं ही बहन से मिल आऊं। उसने अपनी इच्छा पत्नी को बताई तथा सौगात ले जाने के लिए कुछ मांगा। भाभी ने थैले में जुवार भरकर कहा- और तो कुछ है नहीं, यही ले जाओ।
 
वह दुःखी मन से चल दिया- भला बहन के घर कोई जुवार लेकर आता है। बहन के नगर के समीप पहुंच कर उसने एक गौशाला में गाय के सामने जुवार का थैला उलट दिया। 
 
तब गौपालक ने कहा- ऐ भाई! सोना-मोती गाय के आगे क्यों डाल रहे हो? भाई ने उसको सारी बात बता दी तथा सोने-मोती लेकर प्रसन्न मन से बहन के घर गया। बहन बड़ी प्रसन्न हुई। कथा की लोकश्रुति यह है कि तुलसी की सेवा से दांपत्य जीवन सुंदर और प्रगाढ़ होता है। 

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