कब है मां धूमावती प्रकटोत्सव: धूमावती माता कौन हैं, जानिए कथा और पर्व का शुभ मुहूर्त

अनिरुद्ध जोशी
मां धूमावती का प्रकटोत्सव ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को है। अग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जयंती 7 जून 2022 मंगलवार को मनाई जाएगी। माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं। आओ जानते हैं इनके प्रकटोत्सव की कथा और पूजा पर्व का शुभ मुहूर्त।
 
पर्व पूजा का मुहूर्त : 
1. हिन्दू पंचांग के अनुसार जून 7, 2022, मंगलवार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि है।
2. अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:30 से दोपहर 12:24 तक।
4. विजय मुहूर्त : दोपहर 02:14 से रात्रि 03:08 तक।
5. गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:33 से 06:57 तक।
7. अमृत काल : रात्रि 09:03 से 10:45 तक।
9. निशिता मुहूर्त रात्रि 11:36 से 12:18 बजे तक।
 
उत्पत्ति कथा : मां धूमावती की कथा हमें कई तरह से मिलती है। उनमें से एक यह है कि कहते हैं कि एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। कुछ नहीं मिलने पर उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की। शिवजी कुछ समय के लिए इंतजार करने के लिए कहते हैं। परन्तु मता पार्वती की भूख और तेज हो जाती है। अंत में भूख से व्याकुल माता भगवान शिव को ही निगल जाती है। भगवान शिव को निगलने के पश्चात माता की देह से धुंआ निकलने लगता है तब माता की भूख शांत होती है। इसके बाद भगवान शिवजी अपनी माया के द्वारा पेट से बाहर आते हैं और माता से कहते हैं कि धूम से व्याप्त देह होने के कारण आपके इस स्वरूप का नाम धूमावती होगा।
 
यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि 'मुझे बाहर निकालो', तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया...निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि 'आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी'....
 
यह भी कहा जाता है कि जैसे ही पार्वती भगवान शिव को निगल लेती हैं उनका स्वरूप एक विधवा जैसा हो जाता है। इसके अलावा शिव के गले में मौजूद विष के असर से देवी पार्वती का पूरा शरीर धुंआ जैसा हो गया। उनका पूरी काया श्रृंगार विहीन हो गई। तब शिवजी ने अपनी माया से पार्वती को कहते हैं कि आपने मुझे निगलने के कारण अब आप विधवा हो गई है। जिस कारण से आपका एक नाम धूमावती भी होगा।
 
 
दूसरी कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। यानी धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है। सती का जो कुछ बचा रहा- उदास धुआं।
 
कौन है माता धूमावती : माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं। कहते हैं कि धूमावती का कोई स्वामी नहीं है। इसलिए यह विधवा माता मानी गई है। मां धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें 'सुतरा' कहा गया है। अर्थात ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं। 
 
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऋषि दुर्वासा, भृगु और परशुराम आदि की मूल शक्ति धूमावती है। सृष्टि कलह की देवी होने के कारण इन्हें कलहप्रिय भी कहा जाता है। देवी का मुख्य अस्त्र है सूप जिसमें ये समस्त विश्व को समेट कर महाप्रलय कर देती हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली मां कहा गया है। चतुर्मास देवी का प्रमुख समय होता है जबकि इनकी साधना की जाती है। इनकी साधना से जीवन में निडरता और निश्चिंतता आती है। इनकी साधना या प्रार्थना से आत्मबल का विकास होता है। इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग अरिष्ट और शत्रुओं का नाश कर देती है। प्रबल महाप्रतापी तथा सिद्ध पुरूष के रूप में उस साधक की ख्याति हो जाती है।
 
इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित घी से होम किया जाता है। धूमावती महाविद्या के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति सात्विक और नियम संयम और सत्यनिष्ठा को पालन करने वाला लोभ-लालच से दूर रहें। शराब और मांस को छूए तक नहीं। साधना करने से पहले नियम जरूर जान लें। सुहागन महिलाओं को इनकी पूजा नहीं करना चाहिए।
 
धूमावती का मंत्र : मोती की माला से नौ माला 'ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:' या ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।। धूं धूं धूमावती ठ: ठ:। मंत्र का जाप कर सकते हैं। जप के नियम किसी जानकार से पूछें।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Surya in purva phalguni nakshatra : सूर्य के पूर्वा फाल्‍गुनी नक्षत्र में जाने से 4 राशियों को होगा धन लाभ

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं पितर, जानें डेट व तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Bhadrapada purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और अचूक उपाय

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

Weekly Calendar: सितंबर 2024 के साप्ताहिक पंचांग मुहूर्त हिन्दी में (जानें 16 से 22 तक)

Aaj Ka Rashifal: 15 सितंबर का राशिफल, जानें 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा दिन

15 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

15 सितंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More