हर साल आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली नवमी पर्व मनाया जाता है। नवमी तिथि होने से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन भी होता है।
इस वर्ष यह पर्व 10 जुलाई 2019, बुधवार को मनाया जा रहा है। यह त्योहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखें विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है। इसे भडल्या नवमी भी कहा जाता है।
भारत के दूसरे कई हिस्सों में इसे दूसरों रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का बहुत महत्व है। वहां इस तिथि को विवाह बंधन के लिए अबूझ मुहूर्त का दिन माना जाता है। इस संबंध में यह मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस दिन किया जाए, तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है, उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता।
इस वर्ष 12 जुलाई 2019 को देवशयनी एकादशी होने के कारण आगामी 4 माह तक शुभ मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जा सकेंगे। ऐसे में 4 माह तक सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस अवधि में सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे। इन 4 माह तक सिर्फ भगवान श्री विष्णु का पूजन-अर्चन होगा। अत: देवउठनी एकादशी के बाद ही शुभ विवाह के लगन कार्य, खरीदारी तथा अन्य शुभ कार्य किए जाएंगे। तत्पश्चात ही विवाह के मुहूर्त मिलेंगे।
ज्ञात हो कि देवशयनी एकादशी से भारत में चातुर्मास माना जाता है जिसका अर्थ होता है कि भड़ली नवमी के बाद 4 महीनों तक विवाह या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में जाते हैं। इसलिए अगले 4 महीने तक कोई भी शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। इसे ही चातुर्मास कहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु निद्रा से जागते हैं, तभी से सभी तरह के शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक समस्त शुभ कार्य वर्चित रहेंगे।
जानिए शुभ मुहूर्त की खास तारीखें
देवउठनी एकादशी के बाद निम्न तारीख को शुभ मांगलिक कार्य हो सकेंगे।
नवंबर :19, 20, 21, 22, 23, 24, 26, 28, 30 को।
दिसंबर : 5, 6, 7, 11, 12 को।