* अंगारकी चतुर्थी व्रत : कैसे करें पूजन
गणेशोत्सव की समाप्ति के बाद अंगारकी चतुर्थी 17 सितंबर 2019, मंगलवार को मनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार अंगारकी चतुर्थी व्रत जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत लाभदायी माना गया है। इस व्रत में श्री गणेश को सबसे पहले याद किया जाता है। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे सालभर के चतुर्थी व्रत का फल मिलता है। घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि, प्रगति, चिंता व रोग निवारण के लिए मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी का व्रत किया जाता है।
वैसे श्री गणेश चतुर्थी हर महीने में 2 बार आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जब भी यह चतुर्थी मंगलवार को आती है, तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। दूसरी चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार मंगलवार को चतुर्थी होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।
श्री गणेश चतुर्थी तिथि का समय और शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे :-
चतुर्थी तिथि 17 सितंबर 2019, शाम 04:33 बजे से प्रारंभ होकर 18 सितंबर 2019 को शाम 06:12 बजे पर चतुर्थी तिथि की समाप्ति होगी।
इस संबंध में पौराणिक जानकारी के अनुसार भगवान गणेश ने अंगारक (मंगल देव) की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देकर कहा था कि जब भी मंगलवार के दिन चतुर्थी पड़ेगी तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। अत: इस दिन श्री गणेश के साथ-साथ मंगल देवता का पूजन करना विशेष तौर पर लाभदायी होता है। आइए, जानें कैसे करें व्रत-पूजन :-
अंगारकी चतुर्थी की पूजन विधि :
* अंगारकी चतुर्थी के दिन व्रतधारी सबसे पहले स्वयं शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
* पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें।
* 'ॐ गं गणपतये नम:' के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
* निम्न मंत्र द्वारा गणेश जी का ध्यान करें।
'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघातविदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
* यदि पूजा में कोई विशिष्ट उपलब्धि की आशा हो तो लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें।
* पूजा सिर्फ मन की शांति और संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें।
* फिर गणेश जी के 12 नामों का पाठ करें।
गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।।
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।
विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।
* मंत्र
'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक:
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते'
* गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं-
1. आवाहन, 2. आसन, 3. पाद्य (भगवान का स्नान किया हुआ जल), 4. अर्घ्य, 5. आचमनीय, 6. स्नान, 7. वस्त्र, 8. यज्ञोपवीत, 9. गंध, 10. पुष्प (दूर्वा), 11. धूप, 12. दीप, 13. नेवैद्य, 14. तांबूल (पान), 15. प्रदक्षिणा, 16. पुष्पांजलि।
गणेश पूजन की सावधानियां :-
* श्री गणेश को पवित्र फूल ही चढ़ाया जाना चाहिए।
* श्री गणेश को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता है।
* दूर्वा से गणेश देवता पर जल चढ़ाना पाप माना जाता है।
* जो फूल बासी हो, अधखिला हो, कीड़ेयुक्त हो वह श्री गणेश जी को कतई न चढ़ाएं।
अत: इस प्रकार श्री गणेश चतुर्थी व्रत करने से जीवन की हर समस्याओं का समाधान शीघ्र ही मिल जाता है।