Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Ananga Trayodashi: अनंग त्रयोदशी पर्व, जानें विधि, मुहूर्त, कथा और महत्व

हमें फॉलो करें Ananga Trayodashi: अनंग त्रयोदशी पर्व, जानें विधि, मुहूर्त, कथा और महत्व

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 (10:15 IST)
Ananga Trayodashi : वर्ष 2024 में अनंग त्रयोदशी व्रत दिन शुक्रवार, 13 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी के दिन पड़ता है, तथा शुक्ल त्रयोदशी के स्वामी कामदेव है। यह दिन शुभ कार्यों के लिए अतिश्रेष्ठ माने जाने के कारण यह तिथि शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत के दिन कामदेव और रति तथा भगवान शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है।

आइए जानते हैं अनंग त्रयोदशी पर्व के बारे में...
 
Highlights 
  • अनंग त्रयोदशी व्रत के बारे में जानें।
  • कामदेव-रति के पूजन का दिन।
  • अनंग त्रयोदशी के दिन कैसे करें पूजन।
त्रयोदशी के स्वामी कामदेव होने के कारण प्रेमियों के लिए यह तिथि बेहद खास होती है, क्योंकि इस दिन प्रेमी जोड़े व्रत रखकर अपनी लव लाइफ बेहतर कर सकते हैं तथा यह दिन संतान पाने का वरदान देने वाला भी माना गया है। साल में 2 बार किया जाने वाला यह व्रत पहला चैत्र और दूसरा मार्गशीर्ष/ अगहन महीने में पड़ता है। इस दिन अनंग त्रयोदशी के साथ ही प्रदोष व्रत भी रखा जा रहा है। इस दिन शिव पूजन करने से वे भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। 
 
अनंग त्रयोदशी व्रत की पूजा वि​धि : अनंग त्रयोदशी के दिन पानी में गंगा जल डालकर सुबह के समय स्नान करें। सफेद रंग के वस्त्र धारण करके सबसे पहले श्री गणेश फिर शिव-पार्वती तथा कामदेव-रति का पूजन सफेद पुष्प से करें। पूजन के पश्चात 13 सिक्के चढ़ाएं। तथा प्रसाद में केला, लड्डू और पंचामृत चढ़ाकर व्रत पूर्ण करें। पूरे दिन व्रत रखकर सायं पूजन के बाद एक समय भोजन ग्रहण करें। अनंग त्रयोदशी के दिन मंत्र- ॐ नम: शिवाय, ॐ कामदेवाय नम: का जाप करना ना भूलें।
 
अनंग त्रयोदशी पूजन के शुभ मुहूर्त : 13 दिसंबर को पूजन का समय -  
 
मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी का आरम्भ: दिसम्बर 12 को दोपहर 10 बजकर 26 
त्रयोदशी का समापन दिसम्बर 13, 2024, शुक्रवार को सायंका 07 बजकर 40 मिनट पर। 
 
इस व्रत की कथा, महत्व और मान्यता के अनुसार एक बार जब भोलेनाथ सती वियोग से दुखी होकर ध्यान मग्न हो गए थे और तीनों लोकों में राक्षस तारकासुर का अत्याचार चरम पर था, तब देवताओं ने कामदेव और रति की मदद से शिव जी का ध्यान भंग किया था। और इसके कारण शिव जी ने नाराज होकर अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया। 
 
तब देवताओं ने शिव जी को सारा वृतांत कह सुनाया, और रति के बेहद विलाप करते देख जब शिव जी का क्रोध थोड़ा कम हुआ तो उन्होंने रति से कहा कि कामदेव इस समय अनंग हैं अर्थात् 'वे बिना अंगों वाले और​ बिना शरीर के हैं'। यानि अंग रहित को अनंग कहा जाता है, जो निराकार रूप वाले होते हैं। इसीलिए भगवान कामदेव को अनंग के नाम से जाना जाता है। तत्पश्चात द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के घर कामदेव ने उनके पुत्र 'प्रद्युम्न' के रूप में जन्म लिया और पुन: अपना शरीर पाया था।

ऐसी मान्यता है कि तभी से इस घटना के बाद से ही अनंग त्रयोदशी मनाई जाने लगी और इस दिन शिव-पार्वती तथा कामदेव-रति की पूजा होने लगी। इस व्रत के संबंध में मान्यता के अनुसार संतान प्राप्ति की चाह रखने वाले पति-पत्नी को अनंग त्रयोदशी व्रत रखकर कामदेव की कृपा से संतान पाने का सपना हकीकत में बदल सकते हैं। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Aaj Ka Rashifal: क्या कहती है आज आपकी राशि, पढ़ें 13 दिसंबर का दैनिक भविष्यफल