Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अहोई अष्टमी 2019 :21 अक्टूबर को है अहोई अष्टमी, श्रेष्ठ मुहूर्त में कैसे करें अहोई माता की पूजा

Advertiesment
हमें फॉलो करें अहोई अष्टमी 2019
अहोई अष्टमी 2019 
 
 अहोई माता की पूजा और व्रत का संतान की रक्षा, सुख और समृद्धि के लिए विशेष महत्व है। कार्तिक महीने की अष्टमी बेहद विशेष होती है। इस अष्टमी को अहोई अष्टमी भी कहते हैं। इस बार अहोई अष्टमी का ये पवित्र व्रत 21 अक्टूबर को है।

संतान की लंबी उम्र के लिए रखे जाने वाले इस व्रत को लेकर कई तरह की परंपराएं प्रचलित हैं। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली से आठ दिन पहले रखा जाता है। 
 
अहोई मां संतान के लिए लंबी आयु और सुखी जीवन का आशीष देती हैं। इस पूजा में महिलाएं चंद्रमा के साथ विशेष तारों को देखकर व्रत खोलती हैं। कई स्थानों पर यह व्रत विशेष रूप से पुत्रों के लिए किया जाता है। अहोई अष्टमी को कालाष्टमी भी कहते हैं। अहोई अष्टमी को राधा रानी से भी जोड़कर देखा जाता है। असीलिए इस दिन मथुरा के राधा कुंड में लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। 
 
पूजा कब करें,  जानिए शुभ मुहूर्त 
 
पूजा का समय/मुहूर्त - 21 अक्टूबर 2019 को शाम 05:45 बजे से 07:02 बजे तक 
 
इस वर्ष तारों के दिखने का समय- शाम 06:10 बजे

चंद्रोदय- 21 अक्टूबर 2019 को रात्रि 11:46 
 
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 21 अक्टूबर 2019 को प्रातः 6:44 बजे 
 
अष्टमी तिथि समाप्त- 22 अक्टूबर 2019 को प्रातः 5:25 बजे
 
व्रत का पारण भी प्रात: 5 बजकर 25 मिनट के पहले ही करें। 
 
ऐसे करें अहोई माता की पूजा 
 
* सुबह के समय जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
 
* अब मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी कि मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आप चाहें तो बाजार में मिलने वाले पोस्टर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। 
 
* अब एक नए मटके में पानी भरकर रखें, उसपर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, अब मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें। 
 
घर में मौजूद सभी बुजुर्ग महिलाओं को बुलाकर सभी के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान करें और उनकी व्रत कथा पढ़ें। 
 
सभी के लिए एक-एक नया परिधान भी रखें। 
 
* कथा खत्म होने के बाद परिधान को उन महिलाओं को भेंट कर दें। 
 
* रखे हुए मटके का पानी खाली ना करें इस पानी से दीवाली के दिन पूरे घर में पोंछा लगाएं। इससे घर में बरकत आती है। 
 
* रात के समय सितारों को जल से अर्घ्य दें और फिर ही उपवास को खोलें।
 
अहोई अष्टमी का शुभ संयोग 
शाम 5 बजकर 33 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 22 मिनट तक अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहेगा। साथ ही इसी दिन साध्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे योग बन रहे हैं। इस योग में अहोई अष्टमी की पूजा बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। इस बार अहोई अष्टमी का पूजा का मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में होने के कारण पूजा के अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे।

अहोई अष्टमी 2019

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

19 अक्टूबर को स्कंद षष्ठी : जानिए क्यों किया जाता है कार्तिकेय का पूजन