Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

6 जुलाई को कालाष्टमी व्रत, पढ़ें विधि, महत्व एवं व्रत का फल

हमें फॉलो करें kalashtmi-vishesh
वैसे तो प्रमुख कालाष्टमी का व्रत 'कालभैरव जयंती' के दिन किया जाता है, लेकिन कालभैरव के भक्त हर महीने ही कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भैरवजी की पूजा और अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।

इस बार शुक्रवार, 6 जुलाई 2018 को यह पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व शीतलाष्टमी, कालाष्टमी या भैरवाष्टमी नाम से जनमानस में प्रचलित है। जुलाई में 6 तारीख से निरंतर त्योहार आ रहे हैं। दरअसल, यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो कि भगवान शिव के अन्य रूप को समर्पित है। आइए जानें... 
 
कालाष्टमी व्रत विधि :-
 
* नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। 
 
* इस रात देवी काली की उपासना करने वालों को अर्द्धरात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए, जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है। 
 
* इस दिन शक्ति अनुसार रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुन कर जागरण का आयोजन करना चाहिए। 
 
* व्रती को फलाहार ही करना चाहिए। 
 
* कालभैरव की सवारी कुत्ता है अतः इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है। 
 
कालाष्टमी व्रत फल :-
 
* कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। 
 
* इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। 
 
* काल उससे दूर हो जाता है। 
 
* कालाष्टमी व्रत करने वाला व्यक्ति रोगों से दूर रहता है और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। 
 
कालाष्टमी व्रत का महत्व :- 
 
तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूप की उपासना की बात कही गई है। ये रूप असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव। 
 
कालिका पुराण में भी भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है। इस दिन व्रत रखने वाले साधक को पूरा दिन 'ॐ कालभैरवाय नम:' का जाप करना चाहिए। कालभैरव का व्रत रखने से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भैरव साधना करने वाले व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

किस देवता और ग्रह के लिए बांधें कौन से रंग का रक्षासूत्र, जरूर पढ़ें यह विशेष जानकारी