रूस-यूक्रेन वॉर पर कविता : युद्ध

पुष्पा परजिया
भरा आकाश और नभ मंडल बारूद और धुएं की बौछार है
सिसक रही मानवता ये कैसा नरसंहार है
जहां थी तारों की लड़ियां वहां बमों की भरमार है
कांप रहा नभमंडल सारा ये कैसा अत्याचार है
खोज ली बेटी ने जीवन बचाने की औषधि 
पर क्यों पिता का युद्ध व्यापार है
बेबस बच्चे भूखे-प्यासे मां-बाप भी लाचार हैं
क्यों कर चली गई इंसानियत क्यों हैवानियत का ही राज है
बातों से कर सकते थे सुलह जहां, बेकार ही किया संहार है
नर कंकालों से भर गई धरती पर फिर भी ना बदला उनका व्यवहार है।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

आंखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इन 4 चीजों को जरूर करें अपनी डाइट में फॉलो

प्रेगनेंट महिलाओं के लिए गजब हैं शकरकंद के फायदे, ऐसे करें डाइट में शामिल

भारत की Coral Woman उमा मणि, मूंगा चट्टानों के संरक्षण के लिए दादी बनने की उम्र में सीखी डाइविंग

ज्यादा नमक खाने से सेहत को होती हैं ये 7 समस्याएं, शरीर में दिखते हैं ये संकेत

क्या गुस्सा करने से बढ़ जाता है Heart Attack का खतरा? जानिए कैसे रहें शांत

सभी देखें

नवीनतम

International Day Of Peace: अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस आज, जानें इतिहास और 2024 की थीम

World Alzheimer's Day: विश्व अल्जाइमर दिवस आज, जानें इतिहास, लक्षण, कारण और उपाय

क्या वजाइनल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है मसालेदार खाना?

श (Sh) अक्षर से ढूंढ रहे हैंa अपनी लाड़ली के लिए नाम

अगला लेख
More