जिनके साथ बचपन में खेला
जिनसे सुनी लोरियां मैंने
जिनका साया छांव थी मेरी
जिनके लिए थी एक नन्ही परी मैं
जिनकी आंखों में था
इंतज़ार मेरे आने का ...
जिनके के लिए था
मेरे मन में प्यार
जो थे मेरा जीवन
और जो है आज भी
मेरा तन-मन,
जिनसे महकती थी
जीवन बगिया मेरी
और जिनसे हुआ
गुले बहार मेरा चमन
अब एक ठंडी-सी
मीठी-सी याद है मन में
जो भर देती है अंखियों में
अंसुवन जल
क्यूं वो सहारे छीन गए?
क्यों वो हमसे दूर हो गए
जिनसे पाया था ये जीवन
जिनसे पाया था ये जीवन
माता-पिता के चरणों में
कोटि-कोटि वंदन
...कोटि कोटि वंदन।