Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

प्रवासी कविता : कैलिफोर्निया की सर्दी

हमें फॉलो करें winter poem
webdunia

रेखा भाटिया

प्यासी थी धरती और प्यासा अंबर
पीली धूप में, पीली धरती पीला अंबर
हमदम, हमसफ़र ऋतु की सखी पत्तियां
करें काम दिन-रात, न ग़म, न लें दम
 
कैलिफोर्निया का दिल नमी को रोता
देख समर्पण पत्तियों का ऋतु फ़िदा है
चुराकर रंग धूप से ओढ़ाया पत्तियों को
लाल, पिली, नारंगी ख़ुशगवार पत्तियां
 
मचल छोड़ दरख्तों को चलीं फ़िज़ाओं में
एक सपना है आंखों में हवा में घुलता
बिछ जाती हैं राहों में करने शीत का स्वागत
हवा की सिरहन के साथ महकती सुगंध
 
आगे सरकता वक्त थोड़ा पीछे चल देता
थक कर दिन शामल, सिकुड़ने लगते
ऊबकर रातें हो जाती कुंहासी लम्बी
देख पुरवाई थम गई है बादलों के संग
 
फ़िज़ाओं का मिज़ाज़ बदलने लगा अब
साथ आ गया सर्दी का मौसम झमाझम
बरसने लगा ख़ुशगवार सावन सर्दी में
सांता आएगा तोहफ़े लेकर उत्तर ध्रुव से
 
क्रिसमस का दिन है जगमग घर आंगन
कैलिफोर्निया का आदम अति ख़ुश है
सदियों का मौसम है गुलाबी, जश्न मनाते
उल्लास में, नए साल को न्यौता है भेजा ! 
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अखरोट, बादाम, मुनक्का सहित ये 10 चीजें खाते हैं पानी में भिगोकर, जानिए बेशकीमती फायदे