शिकागो। यहां एक भारतीय छात्र गौरव जवेरी ने अपनी ग्रेजुएशन समारोह के दौरान अपने डीन के पैर छुए तो उन्हें यह समझ में नहीं आया। उनका कहना था कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है। बाद में, उन्हें बताया गया है कि भारत में अपने गुरुओं को सम्मान देने का यही तरकी है और यह बात उन लोगों पर पूरी तरह ठीक बैठती है कि 'आप एक भारतीय को भारत से बाहर तो ले जा सकते हैं लेकिन उसकी भारतीयता को कभी बाहर नहीं निकाल सकते हैं।'
इलिनॉयस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, शिकागो में एक भारतीय छात्र गौरब जवेरी ने कन्वोकेशन समारोह के दौरान अपने अध्यापक के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके पैर छुए। विदेशों में इसे कुछ भी कहा जा सकता है लेकिन हम भारतीय इसे अपनी संस्कृति की विरासत मानते हैं। अपने ग्रेजुशन प्रमाणपत्र को अपने डीन के हाथों ग्रहण करने के बाद कुछ उत्साहित जवेरी झुके और अपने डीन के पैरों को छूकर तेजी से बाहर चले गए। लेकिन डीन की समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया है?
संभवत: उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि भारत में अपने बुजुर्गों और शिक्षकों को सम्मान देने की सदियों पुरानी प्रथा है। इस प्रकार डीन कुछ समय के लिए हतप्रभ से खडे़ रह गए। वे अपने पैरों और जवेरी के हाथों को देखते रहे जोकि जल्दी से स्टेज से उतरे और चले गए। लेकिन उनका यह कृतज्ञता भाव निश्चित तौर पर अमूल्य था। उनका यह संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहुत बार देखा गया। ट्विटर पर उन्हें भारत की संस्कृति का चेहरा या फिर एक संस्कारी व्यक्ति बताया गया।
ट्विटर पर एक यूजर ने यह भी लिखा कि 'भारतीय हमेशा ही भारतीय बने रहेंगे। यह कोई खराब बात नहीं है लेकिन डीन के चेहरे पर भावों को देखिए। उन्होंने सोचा था कि शायद उनके पैरों पर कुछ था जिसे जवेरी ने हटाने का उपक्रम किया था।'
(इंडियावेस्ट डॉट कॉम से साभार)