Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

नार्वे में शैलेश मटियानी को याद किया

हमें फॉलो करें fatter kafe
- नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
 
ओस्लो। 23 नवम्बर को हिंदी के जाने-माने लेखक शैलेश मटियानी को याद किया गया। इस लेखक गोष्ठी में विद्वान डॉ. राम प्रासाद भट्ट को 'स्पाइल-दर्पण पुरस्कार' प्रदान किया गया जो स्वयं सैकड़ों शोधपत्रों और कहानियों के लेखक हैं। 
 
यह पुरस्कार संयुक्त रूप से संगीता शुक्ल दिदरिक्सेन, भारतीय दूतावास के काउंसलर अमरजीत और इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने प्रदान किया और शाल एवं फूलगुच्छ से स्वागत किया।
 
हमबर्ग विश्विद्यालय जर्मनी में प्रोफ़ेसर डॉ. रामप्रसाद भट्ट ने शैलेश मटियानी के महिला पात्रों का जिक्र करते हुए कहा कि शैलेश मटियानी प्रेमचंद के बाद सबसे बड़े कहानीकार थे। अभाव और विभिन्न कठिन असहनीय स्थितियों में रहते हुए शैलेश ने हिंदी साहित्य को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया। जरूरत है उनके साहित्य को विस्तार से प्रचारित करने की। उनकी कहानी 'अर्द्धांगिनी', 'दो दुखों का एक सुख' और 'वासंती हुरक्यानी' का जिक्र किया और रोचक तरीके से उसे सुनाया।
 
नार्वे में बसे सुरेशचंद्र शुक्ल ने कहा कि शैलेश मटियानी के साहित्य को अधिक प्रचारित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नार्वे में हिंदी के प्रचार प्रसार में जुड़े होने के कारण उन्हें भी अपनी रचनाओं के प्रचार का उतना मौक़ा नहीं मिल पाता, जितनी कि आज सुविधा है। उन्होंने अपनी कहानियों का जिक्र करते हुए कहा कि 'तलाशी', 'लाश के वास्ते' 'मदरसे के पीछे', 'लाहौर छूटा अब दिल्ली न छूटे', 'विसर्जन के पहले' को वह सामयिक स्थान नहीं मिला, जिनकी वे हकदार हैं।
 
उन्होंने अपनी लघु कहानी 'विदेशी माल' सुनाई और कहा कि एक संपादक के नाते वह सही भूमिका निभा रहे हैं और भारतीय और प्रवासी साहित्य की नयी-पुरानी रचनाओं और नए-नए रचनाकारों की रचनाओं को स्थान दे रहे हैं।
 
अंत में कवि गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें भारतीय दूतावास के अमरजीत ने अपनी रोचक हास्य रचनाएं और गजल सुनाई। नार्वेजीय भाषा में अपनी कविताएं सुनाईं इंगेर मारिये लिल्लेएंगे और नूरी रोयसेग ने। अलका भरत ने रोचक हास्य लेख पढ़ा 'फूफा जी'। संगीता शुक्ल दिदरिक्सेन ने अपने संचालित हिंदी स्कूल, नार्वे में युवा और बच्चों की हिंदी शिक्षा और उनके योगदान पर विचार व्यक्त किए। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ठंड में बढ़ जाता है आर्थराइटिस का खतरा, जानें 5 जरूरी बातें