Modi ji navratri fast: नवरात्रि, जो शक्ति उपासना का महापर्व है, भारत में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दौरान करोड़ों भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं। इन्हीं भक्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं, जो पिछले कई दशकों से नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत पूरी निष्ठा से करते आ रहे हैं। उनका यह उपवास सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उनकी अटूट आस्था और अनुशासन का प्रमाण है। पिछले साल अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने इस अनुभव को साझा किया था, जिससे पूरी दुनिया उनके इस संकल्प से परिचित हुई। नवरात्रि में 9 दिनों के व्रत के बावजूद पीएम मोदी की ऊर्जा में कोई कमी नहीं दिखती और उनकी राजनीतिक गतिविधियां सामान्य रहती हैं। आइए जानते हैं कि व्रत के दौरान पीएम मोदी की क्या दिनचर्या रहती है।
नवरात्रि व्रत में कैसी रहती है PM मोदी की दिनचर्या: पीएम मोदी ने बताया कि उनका उपवास सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। वह उपवास शुरू करने से पांच-सात दिन पहले ही अपने शरीर को योग और आयुर्वेद के माध्यम से आंतरिक रूप से साफ करते हैं। वे कहते हैं, "मैं उपवास रखने से पहले... पूरे शरीर को योग और आयुर्वेद के जरिए आंतरिक रूप से साफ करता हूँ।" उपवास के दौरान शरीर को डिटॉक्स करने के लिए वे बहुत अधिक पानी का सेवन करते हैं, जिससे शरीर की शुद्धि होती है।
कठोर अनुशासन, आंतरिक चेतना का अनुभव: प्रधानमंत्री ने बताया कि उनके लिए उपवास एक गहरा अनुशासन है। भले ही वे दुनिया भर की गतिविधियों में व्यस्त रहते हों, लेकिन उपवास के दौरान उनका मन भीतर की ओर रहता है। वे कहते हैं, "मैं अंतर्मन में खोया हुआ रहता हूँ। मैं अपने भीतर रहता हूँ। यह अद्भुत अनुभूति होती है।" यह आंतरिक चेतना का अनुभव उन्हें एक नई ऊर्जा और एकाग्रता देता है। यह कोई बाहरी प्रेरणा या किताबों को पढ़कर लिया गया निर्णय नहीं था, बल्कि उनके बचपन का एक अनुभव था। उन्होंने महात्मा गांधी से जुड़े एक आंदोलन के दौरान पहली बार सामूहिक उपवास का अनुभव किया था, और उस दिन महसूस की गई एक नई चेतना ने उन्हें जीवन भर के लिए प्रेरित किया।
उपवास के दौरान भी सक्रिय रहती है दिनचर्या: अक्सर लोग सोचते हैं कि उपवास के दौरान ऊर्जा कम हो जाती है, लेकिन पीएम मोदी के लिए यह उल्टा है। वे कहते हैं, "उपवास के दौरान मेरी एक्टिविटी कभी बंद नहीं होती। उपवास में भी मैं उतना या कभी-कभी उससे ज्यादा काम करता हूँ।" वे हैरान होते हैं कि उपवास के दौरान उनके विचार कहां से निकलते हैं, जो उनके अनुसार एक अलौकिक शक्ति का परिणाम है।
इसके अलावा, वे अपनी पाचन शक्ति का भी विशेष ध्यान रखते हैं। वे बताते हैं कि वर्षा ऋतु में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, इसलिए इस दौरान वे केवल 24 घंटे में एक बार ही भोजन करते हैं। यह उनकी दिनचर्या का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उनके स्वास्थ्य के प्रति उनकी सजगता को दर्शाता है।