Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(प्रदोष व्रत)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल द्वादशी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-प्रदोष व्रत/चातुर्मास समाप्त, प्रदोष व्रत
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

दुर्गा विसर्जन कब है और कैसे करें विसर्जन?, बन रहे हैं इस दिन 3 शुभ योग

शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों बाद कैसे करें विसर्जन की पूजा

हमें फॉलो करें दुर्गा विसर्जन कब है और कैसे करें विसर्जन?, बन रहे हैं इस दिन 3 शुभ योग

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 (12:48 IST)
Durga visarjan 2024 date and time दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को होगा। विसर्जन के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। पहला इस दिन श्रवण नक्षत्र प्रात: 05 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 13 अक्टूबर को प्रात: 4 बजकर 27 मिनट को समाप्त होगा। दूसरा इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगा जो अगले दिन 13 अक्टूबर को प्रात: 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। तीसरा इसी दिन रवि योग भी बन रहा है, जो पूरे दिन रहेगा।
webdunia
 
 
दुर्गा विसर्जन की विधि:-
- महानवमी के दिन मां का विशेष पूजन करके पुन: पधारने का आवाहन कर, स्वस्थान विदा होने के लिए प्रार्थना की जाती है। 
- कलश के जल का छिड़काव परिवार के सदस्यों पर और पूरे घर में किया जाता है ताकि घर का प्रत्येक स्थान पवित्र हो जाए। 
- अनाज के कुछ अंकुर मां के पूजन के समय चढ़ाए जाते हैं। कुछ अंकुर दैनिक पूजा स्थल पर रखे जाते हैं, शेष अंकुरों को बहते पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। 
- कुछ लोग इन अंकुरों को शमी वृक्ष को अर्पित करते हैं और लौटते समय इनमें से कुछ अंकुर केश में धारण करते हैं।
- प्रतिमा विसर्जन के समय विधिवत पंचोपचार पूजा करने के बाद जल में विसर्जन करते समय यह मंत्र बोले- 
 
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। 
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
 
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त:- 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर 03 बजकर 35 मिनट तक है।
13 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन समय:- प्रात: 06:20:57 से 08:39:23 तक।
 
 
- ज्ञात हो कि देवी का आठवां रूप मां महागौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर कांति बढ़ती है, सुख में वृद्धि होती है, शत्रु शमन होता है और नवमी के दिन सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री का पूजन-अर्चन करने का विधान है। इसी दिन महानवमी पूजन और विसर्जन करना मंगलकारी माना गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन का भोग क्या है?