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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(उत्पन्ना एकादशी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-उत्पन्ना एकादशी व्रत
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
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नवरात्रि पर कर सकते हैं नौ ग्रहों की शांति, पढ़ें मंत्र

हमें फॉलो करें नवरात्रि पर कर सकते हैं नौ ग्रहों की शांति, पढ़ें मंत्र
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पं. उमेश दीक्षित

जन्मपत्रिका के नौ ग्रह शांति के लिए नवरात्रि में विशेष मंत्र जपें। ग्रहों की शांति नवरात्रि में जप व दान से हो सकती है। प्रस्तुत है खास जानकारी... 
 
1. सूर्य ग्रह 
 
'ॐ घृणि: सूर्याय नम:' जपें।
 
दान- गेहूं, गुड़, सोना, तांबा, माणिक्य इत्यादि।
 
2. चन्द्र ग्रह 
 
'ॐ सों सोमाय नम:' जपें।
 
दान- दूध, चावल, चांदी, घृत, शंख इत्यादि।
 
3. मंगल ग्रह
 
'ॐ अं अंगारकाय नम:' जपें।
 
दान- रक्त (स्वयं का), तांबा, सोना, गुड़, मूंगा इत्यादि।
 
4. बुध ग्रह
 
'ॐ बुं बुधाय नम:' जपें।
 
दान- कांस्य पात्र, कपूर, घृत, हरे वस्त्र इत्यादि।
 
5. गुरु ग्रह 
 
'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' जपें।
 
दान- पुस्तक, मधु, चने की दाल, पुखराज इत्यादि।
 
6. शुक्र ग्रह
 
'ॐ शुं शुक्राय नम:' जपें।
 
दान- दूध, दही, चांदी, सफेद वस्त्र, हीरा इत्यादि।
 
7. शनि ग्रह
 
'ॐ शं शनैश्चराय नम:' जपें।
 
दान- लोहे का सामान, भैंस, काला-नीला वस्त्र, उड़द काली, नीलम इत्यादि।
 
8. राहु ग्रह
 
'ॐ रां राहवे नम:' जपें।
 
दान- नीला वस्त्र, गोमेद, सप्त धान्य, काला तिल, तेल, लोहा इत्यादि।
 
9. केतु ग्रह
 
'ॐ कें केतवे नम:' जपें।
 
दान- काले-नीले पुष्प, वस्त्र, तेल, तिल, लोहा, लहसुनिया इत्यादि।
 
सभी नवग्रहों की शांति के लिए निम्न मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है-
 
ॐ ब्रह्मा मुरारित्रिपुरांतकारि भानु: शशि: भूमि-सुतौ बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा: शांति करा: भवन्तु।।' 
 
तथा समय-समय पर गौदान, छायादान (कांसे के कटोरे में घी भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर) तथा गाय, कुत्ता, चींटी, भिक्षुक, ब्राह्मण इत्यादि यथाशक्ति नित्य अन्नदान करें। पीपल में जल तथा तेल का दीपक लगाएं। हनुमानजी के दर्शन तथा हनुमान चालीसा के पाठ नित्य करें।
 
उपरोक्त मंत्र के जाप 21, 51 व 108 माला नित्य करें तथा उन ग्रहों के दिनों पर उपवास अधिक लाभ देगा। यदि पितृदोष, कालसर्प दोष, ग्रहण दोष, चांडाल योग हों तो निम्न मंत्रों के जप निश्चित ही लाभ देंगे।
 
1. 'ॐ कुलदेवतायै नम:।'
 
2. 'ॐ नागदेवतायै नम:।'
 
3. 'ॐ पितृदेवतायै नम:।'

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