नवरात्रि में जौ बोने का क्या है सही कारण, क्या मिलते हैं संकेत?

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हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। इस दौरान माता के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए पूरे नौ दिन तक उपवास रखकर उनकी पूजा करते हैं। नवरात्रि के व्रत में जौ बीजने की परंपरा बताई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर नवरात्रि में व्रत रखने वाला व्यक्ति जौ क्‍यों बीजता है। हो सकता है इसका जवाब अधिकतर लोग न जानते हो। अगर आप भी ऐसे ही लोगों की लिस्ट में शामिल हैं तो आपको बताते हैं आखिर नवरात्रि के दौरान क्यों बोई जाती है जौ और क्या है इसका धार्मिक महत्व। 
 
नवरात्रि व्रत करने वाले लोग अपने घर में मिट्टी के एक बर्तन में जौ बोते हैं। मिट्टी के बर्तन में बोए जाने वाले जौ व्यक्ति को उसेक भविष्य से जुड़े कई अहम संकेत देते हैं। धर्मग्रन्थों के अनुसार सृष्टि की शुरूआत के बाद सबसे पहली फसल जौ ही हुई थी। यही वजह है कि जब कभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो हवन में जौ ही चढ़ाई जाती है।
 
नवरात्रि के दौरान मिट्टी में बोया गया जौ दो तीन दिन में ही अंकुरित हो जाता है, लेकिन अगर यह न उगे तो व्यक्ति को भविष्य से जुड़े अच्छे संकेत नहीं मिलते हैं। इसका मतलब व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद ही कोई चीज हासिल होगी। लेकिन अगर जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो जाए तो इसका मतलब आने वाला साल व्यक्ति के लिए आधा अच्छा रहेगा।
 
जौ का रंग नीचे से आधा हरा है और ऊपर से आधा पीला होने पर इसका मतलब होता है कि साल का शुरूआती समय अच्छे से बीतेगा, लेकिन बाद में व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अगर व्यक्ति का बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा होने पर माना जाता है कि माता रानी ने आपकी पूजा स्वीकार कर ली है और आने वाला पूरा साल आपके लिए खुशियों से भरा होगा।

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