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नवरात्रि में मां दुर्गा के इन 12 मंदिर में मुरादें होती हैं पूरी, कर लें तैयारी

हमें फॉलो करें नवरात्रि में मां दुर्गा के इन 12 मंदिर में मुरादें होती हैं पूरी, कर लें तैयारी
, बुधवार, 21 सितम्बर 2022 (13:15 IST)
26 सितंबर 2022, सोमवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना होती है। इस दौरान माता के पांडलों और मंदिरों में दर्शनार्थ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यदि आप मां दुर्गा के मंदिरों में दर्शन करने उनका आशीर्वाद लेने चाहते हैं तो आपके लिए यहां 10 ऐसे मंदिरों की जानकारी दी जा रही है जहां जानें से मुरादें होती हैं पूरी। 
 
1. ज्वालादेवी : भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में जहां माता सती की जीभ गिरी थी, उसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह बहुत ही जागृत स्थान है। यहां पृथ्‍वी के भीतर से कई अग्निशिखाएं निकल रही हैं। 
 
2. नैना देवी : कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल में पर्वत पर एक बड़ी सी झील त्रिऋषि सरोवर के सपीम मल्लीताल वाले किनारे पर नैनादेवी का भव्य मंदिर है। 
 
3. मनसा देवी : मां मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार में है, जहां शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर स्थित नीलपर्वत पर भगवती देवी चंडी, दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं।
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4. कालीपीठ : भारतीय राज्य बंगाल के कोलकाता शहर के हावड़ा स्टेशन से 5 मील दूर भागीरथी के आदि स्रोत पर कालीघाट नामक स्थान पर कालकाजी का मंदिर है। 
 
5. हरसिद्धि : भारतीय राज्य मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट के पास हरसिद्धि माता का मंदिर है, जो राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी है। उज्जैन में ही गढ़कालिका का चमत्कारिक मंदिर भी है। 
 
6. पावागढ़ : गुजरात के बढ़ोदा के पास हलोल क्षेत्र में पावागढ़ की पहाड़ी पर मां कालिका विराजमान है। इस माता के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मावागढ़ में मां के वक्षस्थल गिरे थे। यहां की माता को महाकाली कहा जाता है।
 
7. अर्बुदा देवी : राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित नीलगिरी की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी पर बसे माऊंट आबू पर्वत पर स्थित अर्बुदा देवी के मंदिर को 51 प्रधान शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
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8. योगमाया : कश्मीर के श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर उत्तर में गांदरबल जिले के तुलमुला गांव में योगमाया का मंदिर स्थिति है, जहां माता को राज्ञाना, क्षीर और खीर भवानी के नाम से जाना जाता है। 
 
9. गुवाहाटी : भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी से 2 मील दूर पश्‍चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धपीठ को कामख्या या कामाक्षा पीठ कहते हैं। कालिका पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।
 
10. विन्ध्यांचल : कंस के हाथ से छूटकर जिन्होंने भविष्यवाणी की थी वही श्रीविन्ध्यवासिनी हैं। यहीं पर भगवती ने शुंभ और निशुभं को मारा था। इस क्षेत्र में शक्ति त्रिकोण है।
 
11. मां वैष्णोदेवी : वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं।
 
12. हिंगलाज : पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र बलूचिस्तान में स्थित है। हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था।

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