Navratri me chappal kyo nahi pahnte hai in hindi : नवरात्रि में उपवास के दौरान कई तरह के नियमों का पालन होता है। जैसे बाल नहीं कटवाना, नियम अनुसार उपवास करना, चटाई पर ही सोना आदि। इसी तरह नवरात्रि में नौ दिनों के लिए कुछ लोग जूते चप्पल नहीं पहनते हैं। आओ जानते हैं इसका क्या है कारण।
1. व्रत के नियम जीतने कड़े होते हैं उतना ही व्यक्ति में संकल्प जागृत होता है। इसीलिए चप्पल छोड़कर माता के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान को प्रदर्शित किया जाता है।
2. प्राचीनकाल में जूते और चप्पल चमड़े के बने होते थे। जिन्हें व्रत के दौरान पहनना वर्जित माना जाता था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि नवरात्र के दौरान जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए।
3. नंगे पैर चलने से या प्रतिदिन मंदिर जाने से चंद्र और शनि के दोष दूर होते हैं। कुंडली में शनि दूसरे स्थान में है या चंद्रमा मिथुन राशि में है तो नवरात्रि में नंगे पैर जाने से इसके दोष दूर होते हैं।
4. नंगे पैर जलने से हमारा शरीर धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से जुड़ जाता है। धरती और हमारे शरीर की ऊर्जा एक होकर एक वर्तुल बनता है जिससे हमारे शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलकर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है जो सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
5. नंगे पैर चलना तनाव, डिप्रेशन, मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है और साइटिका, कमर दर्द आदि बीमारियों में यह असरकारक है।
6. पंजों को यदि आप बहुत देर तक जुते मौजे में कैद करके रखेंगे तो यदि आप ध्यान देंगे तो आपको खुद को ऑक्सीजन की कमी महसूस होगी। नंगे पैर खुली हवा में रहने से, पैरों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है, रक्त संचार बेतहर होता है, जिससे उनकी थकान या दर्द खत्म हो जाता है।
7 नंगे पैर पैदल चलने से वे सारी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है। मतलब आपके पैरों के अलावा, उससे जुड़े सभी शारीरिक भाग सक्रिय हो जाते हैं। नंगे पैर पैदल चलते वक्त, आपके पंजों का निचला भाग सीधे धरती के संपर्क में आता है, जिससे एक्युप्रेशर के जरिए सभी भागों की एक्सरसाईज होती है, और कई तरह की बीमारियों से निजात मिलती है।