प्रेम हम सबके जीवन की पहली आवश्यकता है। यदि दंपत्ति में परस्पर क्लेश बढ़ रहा हो तो रिश्तों में मिठास बढ़ाने के लिए नवरात्रि के अंतिम दिन यह प्रयोग करें। नवरात्रि के अंतिम दिन रात्रि में दिए गए हुए मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें। इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा।
इसके बाद रोजाना नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र का 21 बार जप अवश्य करें। यदि संभव हो तो अपने परिवारजन से भी इस मंत्र का जप करने के लिए कहें। इससे जीवन भर परिवार में मधुर संबंध बने रहेंगे।
मंत्र
सब नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।