शरद ऋतु के आश्विन माह में आने वाले शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 1 अक्टूबर से होगा। शनिवार के दिन देवी मां घोड़े पर आ रही है, इससे युद्ध होने की संभावना रहती है। इस बार विशेष रूप से नवरात्रि 10 दिन मनाई जाएगी, नवरात्रि का बढ़ना शुभ होता है और नवरात्रि का एक दिन बढ़ गया है।
शास्त्रों में 10 दिन नवरात्रि शक्ति उपासना के लिए अत्यंत ही शुभ माने गए हैं। अष्टमी पूजन 9 अक्टूबर को होगा। नवमी पूजन 10 और दशहरा 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अभिजीत मुहूर्त धनु लग्न में आ रहा है। ऐसे में धनु लग्न में कलश स्थापना श्रेष्ठ है। सूर्योदय के बाद व अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहिए। प्रतिपदा वृद्धि होने से देश में खुशहाली के संकेत हैंं।
ग्रह स्थिति बुध-आदित्य योग, उच्च के बुध और स्वग्रही शुक्र आदि योग से नवरात्रि अत्यंत शुभ मानी जा रही है। इसके साथ ही इस बार नवरात्रि में आठ दिन राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग के संयोग बन रहे हैं। इन विशेष योगों में की गई खरीदारी अत्यधिक शुभ और फलदायी रहती है।
दस दिन की नवरात्रि में दो शनिवार आएंगे यह अत्यंत शुभ संयोग है क्योंकि शनिवार को दुर्गा पूजा का हजार, लाख गुना नहीं करोड़ गुना फल मिलता है। लाभ, शुभ, अमृत (राहु काल छोड़ कर) स्थिर लग्न में घट स्थापना कर सकते हैं।
करें कुछ विशेष :
भक्तगण सप्तशती पाठ करते है परन्तु सप्तशती पाठों की संख्या, कन्याओं की पूजा में संख्या से भी अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। कन्याओं की संख्या का भी महत्व है। कन्याओं की आयु 10 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। दुर्गा सप्तशती में हर प्रकार के उपाय के मंत्र दिए हुए हैं, जिनसे हर प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।