हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आश्विन नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार, 21 सितंबर 2007 से प्रारंभ हो रही है। 9 दिनी इस शुभ काल में जीवन की किसी भी समस्या का निवारण किया जा सकता है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
1. परिवार में चिंता, तनाव व अशांति दूर करने के लिए दुर्गाजी का चित्र रक्त वस्त्र पर स्थापित कर, पंचोपचार पूजन कर रुद्राक्ष की माला से निम्नलिखित मंत्र की 11 माला 9 दिन तक जपें। जप के पश्चात देवी के चरणों में निवेदन करें कि वे अमुक-अमुक समस्या दूर करें।
मंत्र-
'ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।'
2. जीवन में कामकाज व धन संबंधी बाधा दूर करने के लिए उसी प्रकार यह जपें-
'ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वित:,
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।'
3. युवकों को विवाह में बाधा निवृत्ति हेतु यह जाप करना चाहिए-
'पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्,
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।'
4. कन्या के विवाह की बाधा दूर करने के लिए शिव-पार्वती के चित्र के सामने निम्न मंत्र की माला 5 तथा यथाशक्ति पूजन कर कन्या स्वयं करें-
'ॐ कात्यायनी महामाये महा योगीन्यधीश्वरी
नन्दगोप सुतं पति मे कुरु ते नम:।।'
5. कन्या की उम्र ज्यादा होने पर शंकर-पार्वती के चित्र के सामने तथा केले के वृक्ष का पूजन करते हुए 16 गुरुवार व्रत करते हुए नित्य पंच माला जप करें-
'ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंसनाय पुरुषार्थं,
चतुष्ट लाभाय च पति में देहि देहि कुरु कुरु स्वाहा।।'
6. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए निम्न मंत्र कमल गट्टे की माला से 11 माला लक्ष्मीजी के चित्र के सामने जपें तथा कमल के पुष्प, मिठाई इत्यादि से पूजन करें।
'ॐ कमलवासिन्यै श्रीं श्रियै ह्रीं नम:।'
या
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'
उपरोक्त मंत्रों के जप के लिए रक्तासन तथा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तथा विश्वास के साथ पूजन करें। इति:।