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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल दशमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-विष्णु त्रिरात्रि व्रत
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
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महाष्टमी पर किस समय करें हवन, जानिए सबसे शुभ मुहूर्त

हमें फॉलो करें महाष्टमी पर किस समय करें हवन, जानिए सबसे शुभ मुहूर्त

अनिरुद्ध जोशी

नवरात्रि में वैसे तो नौ दिन ही हवन किया जाता है परंतु सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन कई घरों में हवन करके ही व्रत का पारण किया जाता है। इसलिए यहां प्रस्तुत है महाष्टमी के दिन किए जाने वाले हवन का शुभ मुहूर्त।
 
कब है महाष्टमी : पंचाग के अनुसार अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 से अष्टमी आरम्भ होगी जो 24, 2020 को 07:01:02 पर समाप्त होगी। स्थानीय पंचांग भेद के अनुसार यह समय अलग अलग हो सकता है।
 
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 22 अक्टूबर दिन गुरुवार की दोपहर 1 बजकर 17 मिनट के बाद सप्तमी तिथि की शुरुआत हो गई है। सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर शुक्रवार को दिन 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और 24 अक्टूबर शनिवार को दिन में 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर रविवार को दिन में 11 बजकर 14 तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो रही है, जो दूसरे दिन 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा।
 
अष्टमी के हवन का मुहूर्त : महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के दिन हवन करते हैं तो दुर्गा अष्टमी का व्रत तिथि अनुसार 23 अक्टूबर शाम को प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर सुबह तक रहेगा। हवन के लिए 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से शाम को 05 बजकर 42 मिनट के बीच अच्छा मुहूर्त है। इस दिन अष्टमी और नवमी दोनों ही का हवन किया जा सकता है। 
 
नवरात्रि की नवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से हो रहा है, जो 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। ऐसे में नवमी 25 अक्टूबर को है तथा महानवमी का हवन भी रविवार की सुबह होगा। नवमी के दिन प्रात:काल में हवन के लिए 01 घंटा 13 मिनट का समय है। अत: आपको अष्टमी का हवन 24 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 28 मिनट से प्रात:काल 07 बजकर 41 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए परंतु इसका सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त है।
 
संधि पूजा : महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं। संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह वह समय होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि का आरंभ होता है। मान्यता है कि, इस समय में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था।

तिथि : अष्टमी 23 अक्टूबर को शाम 06:58:53 से 24 अक्टूबर सुबह 7 बजकर 1 मिनट और 2 सेकंड तक रहेगी।
पक्ष : शुक्ल
नक्षत्र : श्रवण 26:38:27 तक
वार : शनिवार
ऋतु : हेमंत
करण : बव 7 बजकर 1 मिनट और 2 सेकंड तक बालव 19:17:46 तक।
योग : शूल - 24:40:07 तक
सूर्योदय : 06:27:51
सूर्यास्त : 17:42:15
चंद्रोदय : 13:54:59
चंद्रास्त : 24:41:00
सबसे शुभ समय : अभिजीत 11:42:35 से 12:27:32 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग : 24 अक्टूबर को 6:25 प्रात: से रात्रि अंत तक

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