शक्ति पर्व शारदैय नवरात्रि के उपलक्ष्य में मां भगवती कात्यायनी का विशेष पूजन षष्ठी के दिन किया जाता है। यह खास तौर पर विवाह योग्य कन्याओं के लिए विशेष पूजन तथा मनोकामना पूर्ति का दिन माना जाता है।
चारों ओर नवरात्रि महोत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रतिदिन भगवती का नयनाभिराम श्रृंगार एवं दिव्य आरती भक्तों को आकर्षित करती है। भगवती योगमाया कात्यायनी मां देवियों में सर्वाधिक सुंदर है। ऐसी सौंदर्य स्वरूपा का नवरात्रि में दर्शन का विशेष महत्व है।
विवाह योग्य कन्याओं एवं विशेष रूप में जिनके विवाह में विलंब हो रहा हो, उनके लिए नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन प्रातःकाल से ही मां भगवती का अर्चन एवं पूजन किया जाता है। देवी भक्तों का अनुभव है कि यदि कोई कन्या इस षष्ठी पूजन को पूर्ण विधि-विधान एवं श्रद्धा से कर लें तो उसका विवाह एक वर्ष के भीतर ही हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार कोई भी विवाह योग्य कन्या यह पूजन कर सकती है। इसके लिए किसी विशेष अनुमति अथवा दान आदि का बंधन नहीं है। केवल श्रृंगार सामग्री एवं पूजन सामग्री से माता का पूजन फलदायी होता है।
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
भगवान कृष्ण जैसा पति पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए वह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। गोपियों द्वारा पढ़ा यह मंत्र विवाह के लिए अत्यंत असरकारी व लोकप्रिय है।
कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम:
दुर्गा के इस रूप कात्यायनी को आयुर्वेद औषधि में कई नामों से जाना जाता है। जैसे- अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका माचिका भी कहते हैं। कात्यायनी कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है।