Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि की पूजा के शुभ मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा

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हिन्दू धर्म में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व कहा गया है। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 19 जून 2023 से होकर 27 जून 2023 तक यह पर्व मनाया जाएगा। इन दिनों मां दुर्गा के स्वरूपों की साधना की जाती है तथा यह पर्व जीवन की समस्त परेशानियों को दूर करने के लिए उत्तम है। आइए अब जानते हैं यहां पूजन के मुहूर्त और कथा और महत्व के बारे में- 
 
19 जून 2023, सोमवार : गुप्त नवरात्रि पर्व के शुभ मुहूर्त : Gupt Navratri Muhurat 2023
 
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा का आरंभ 18 जून 2023, रविवार को प्रात: 10.06 मिनट से, 
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा का समापन- 19 जून 2023, सोमवार को प्रात: 11.25 मिनट तक।
उदयातिथि के अनुसार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से।
वृद्धि योग- 01.15 ए एम, 20 जून तक। 
 
आज का शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 04.03 ए एम से 04.43 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.55 ए एम से 12.50 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.42 पी एम से 03.38 पी एम
प्रातः सन्ध्या- 04.23 ए एम से 05.23 ए एम
गोधूलि मुहूर्त- 07.20 पी एम से 07.40 पी एम
अमृत काल- 09.19 ए एम से 11.03 ए एम
निशिथकाल मुहूर्त- 12.02 ए एम, 20 जून से 12.43 ए एम तक।
 
महत्व (Gupta Navratri ka mahatva) : गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त अर्थात् छिपा हुआ, अत: इस नवरात्रि में तंत्र साधना का अधिक महत्व होता है तथा तंत्र साधना को भी गुप्त रूप से ही किया जाता है, यह साधना किसी को बताकर नहीं की जाती है, इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। यह दिन विशेष कामनाओं की सिद्धि के लिए खास माने गए हैं।

इन दिनों में अघोर तांत्रिक महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं तथा इस नवरात्रि में मोक्ष की कामना से भी साधना की जाती है। यह तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए खास होने के कारण साधक इसमें गुपचुप तरीके से मंत्र साधना करके दुखों से मुक्ति पाने के लिए माता से प्रार्थना करते हैं। इसी वजह से यह नवरात्रि तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना और महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

इस दौरान मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दिनों में एक खास कथा पढ़ने का विशेष महत्व पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है। 
 
अब जानते हैं इस पर्व की कथा : Gupta Navaratri 2023 Katha
 
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी एक कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती।

मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं। 
 
ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें 'गुप्त नवरात्रि' कहा जाता है। उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। 
 
इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं। ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि- लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की। 
 
मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसके घर में सुख-शांति आ गई। पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया। गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा। 
 
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Gupta Navaratri katha
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