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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के क्या है मुहूर्त, कैसे करें पूजन?

हमें फॉलो करें आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के क्या है मुहूर्त, कैसे करें पूजन?
Gupta Navratri 2023 
 
आषाढ़ का महीना प्रारंभ हो गया है और इसी महीने में गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2023) पर्व पड़ रहा है। प्रतिवर्ष गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक मनाई जाती है। वर्ष 2023 में गुप्त नवरात्रि का पावन पर्व 19 जून, दिन सोमवार से प्रारंभ हो गया है। और इसकी समाप्ति मंगलवार, 27 जून 2023 को होगी। 
 
महत्व- देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। 
 
आइए अब जानते हैं यहां पूजन के मुहूर्त और विधि-
 
गुप्त नवरात्रि पर्व 2023: 19 जून, सोमवार
 
- आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ रविवार, 18 जून 2023 को प्रात: 10.06 मिनट से प्रारंभ होकर 19 जून, सोमवार को प्रात: 11.25 मिनट तक रहेगी। 
- उदयातिथि के अनुसार गुप्त नवरात्रि पर्व की शुरुआत 19 जून को होगी।
 
- आषाढ़ नवरात्रि पारण समय : 28 जून 2023, बुधवार
आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ- 27 जून 2023 को 02.04 ए एम से,
नवमी तिथि की समाप्ति- 28 जून 2023 को 03.05 ए एम पर। 
आषाढ़ नवरात्रि पर पारण का समय- 05:26 ए एम के बाद। 
 
पूजन विधि: 
 
- गुप्त नवरात्रि पर्व के दिनों में सुबह जल्द उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
 
- देवी पूजन की सभी सामग्री को एकत्रित करें।
 
- पूजा की थाल सजाएं।
 
- मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।
 
- मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
 
- पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। 
 
- इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। 
 
- फिर कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। 
 
- अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।
 
- फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
 
- पूरे परिवारसहित माता का स्वागत करें, उनका पूजन, आरती करके भोग लगाएं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
 
- नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। 
 
- अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
 
- गुप्त नवरात्रि अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें। 
 
- मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, अक्षत चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।
 
इस तरह नवरात्रि के पूरे दिनों में मां की आराधना करें। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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