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गुप्त नवरात्रि में साधना के 8 रहस्य

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अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 12 फरवरी से माघ मास की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। वर्ष में चार बार आती है नवरा‍त्रि- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह। चैत्र माह की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। बाकी बची दो आषाढ़ और पौष-माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
 
 
1. चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि सर्व साधारण व्यक्तियों के लिए होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना की जाती है।
 
2. माघ और आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि में तंत्र अर्थात वाममार्गी साधना की जाती है। 
 
3. गुप्त नवरात्रि साधना और तं‍त्र साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है इसीलिए इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा और साधना का महत्व है।
 
साधना का काल : 
1. देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
 
2. गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है।
 
3. इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं।
 
4. इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
 
5. वैसे तो इन नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है।
 
6. गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। 
 
7. भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं।
 
8. उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।

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