Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(अष्टमी तिथि)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गोपाष्टमी पर्व, पंचक प्रारंभ
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

यह है गुप्त नवरात्रि की प्रामाणिक कथा : 3 जुलाई 2019 की सुबह इसे अवश्य पढ़ें

हमें फॉलो करें यह है गुप्त नवरात्रि की प्रामाणिक कथा : 3 जुलाई 2019 की सुबह इसे अवश्य पढ़ें
3  जुलाई 2019 से गुप्त नवरात्रि आरंभ हो रही है। गुप्त नवरात्र तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना और महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। गुप्त नवरात्र के दौरान मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
 
आइए पढ़ें गुप्त नवरात्र से जुड़ी पौराणिक कथा, इस कथा को नवरात्रि के दौरान किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। विशेषकर प्रथम दिन इसका वाचन एवं श्रवण किया जाता है। 
 
कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। इसी दौरान भीड़ से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि के सामने आई और अपनी समस्या बताने लगी। स्त्री ने कहा कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। स्त्री ने साथ ही कहा कि वह मां दुर्गा के शरण में जाना चाहती है लेकिन पति के पापाचार के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। 
 
यह सुन ऋषि ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है और इससे सब परिचित भी हैं लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं। ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। ऋषि ने स्त्री से कहा कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा। ऐसा सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में गुप्त रूप से ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ। साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया।
शारदीय और चैत्र नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना की जाती है। नौ दिन तक व्रत का संकल्प लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की अराधना इस दौरान की जाती है। साथ ही अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत की समाप्ति होती है। तंत्र साधना करने वाले इस दौरान माता के 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं।
 
गुप्त नवरात्र के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और साथ ही लाल रंग का पुष्प माता को चढ़ाएं। इस पूजा के विषय में किसी और को नहीं बताना चाहिए और मन से मां दुर्गा की आराधना में तल्लीन रहना चाहिए। 
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सूर्य ग्रहण 2019 : आज कितनी बजे है ग्रहण, क्या होगा असर, क्या रखें सावधानियां