देवी भागवत पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। दो गुप्त, तीसरे शारदीय और चौथे चैत्र नवरात्र। अमूमन लोग गुप्त नवरात्र के बारे में कम ही जानते हैं। साल में दो बार होने वाले शारदीय और चैत्र नवरात्र के बारे में ज्यादातर लोगों की जानकारी होती है। जानिए चैत्र नवरात्र का महत्व और इससे जुड़ी अन्य बातें।
चैत्र नवरात्र हवन पूजन और स्वास्थ्य के बहुत फायदेमंद होते हैं। इस समय चारों नवरात्र ऋतुओं के संधिकाल में होते हैं यानी इस समय मौसम में परिवर्तन होता है। इस कारण व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोरी महसूस करता है। मन को पहले की तरह दुरुस्त करने के लिए व्रत किए जाते हैं।
इस बार चैत्र नवरात्र 18 मार्च से शुरू होंगे। पूजन की शुरुआत घट पूजन से की जाएगी। पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। 18 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्र 26 मार्च को संपन्न होंगे।
ज्योतिषीय दृष्टि से महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व रखने वाले चैत्र नवरात्र में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। सूर्य राशि परिवर्तन का असर सभी राशियों पर पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिन काफी शुभ होते हैं, इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य बिना सोच-विचार के कर लेना चाहिए। इसका कारण यह है कि पूरी सृष्टि को अपनी माया से छांव देने वाली आदिशक्ति इस समय पृथ्वी पर होती है।
हिंदू वर्ष की शुरुआत
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष आरंभ होता है। तीसरे चैत्र नवरात्र को भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। इसके बाद भगवान विष्णु का भगवान राम के रूप में अवतार भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था। इसलिए इनका बहुत अधिक महत्व है।