Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी व्रत)
  • तिथि- आश्विन कृष्ण चतुर्थी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • व्रत/मुहूर्त-श्री गणेश चतुर्थी व्रत, चतुर्थी श्राद्ध
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरात्रि की अष्टमी पर कैसे करें पूजा, जानिए महत्व और सरल विधि

हमें फॉलो करें नवरात्रि की अष्टमी पर कैसे करें पूजा, जानिए महत्व और सरल विधि
, मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021 (13:30 IST)
नवरात्रि की अष्टमी को महा अष्टमी कहते हैं। इस दिन दुर्गा पूजा के साथ ही कन्या पूजा और संधि पूजा भी होती है। आओ जानते हैं कि दूर्गा पूजा की सरल विधि और महत्व।
 
 
1. महत्व : मां भगवती का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।
 
 
2. पूजा की सरल विधि : 
 
1. देवी पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो देवी का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं। 
 
2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। पूजा के समय सभी एकत्रित होकर पूजा करें। पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें।
 
3. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पूजा का उचित मुहूर्त देखें या दोपहर 12 से शाम 4, रात्रि 12 से प्रात: 3 बजे के बीच का समय छोड़कर पूजा करें।
 
4. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद देवी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर विराजमान करें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करके जल छिड़कें।
 
 
5. इसके बाद देवी के सामने धूप, दीप जलाएं। फिर देवी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
6. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
 
7. अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
8. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नवरात्रि में महाष्‍टमी का विशेष महत्व, जानिए 8 खास बातें