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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(बैकुंठ चतुर्दशी)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी/चतुर्दशी-(क्षय)
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-बैकुंठ चतुर्दशी/पंचक समाप्त/मूल समाप्त
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
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महानवमी 2023 : हवन, पूजा और विसर्जन के सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त

हमें फॉलो करें महानवमी 2023 : हवन, पूजा और विसर्जन के सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त
Durga navami date 2023: 22 अक्टूबर 2023 को अष्टमी और 23 अक्टूबर को महा नवमी की पूजा होगी। इस दौरान शुभ मुहूर्त में करें आप माता दुर्गा की पूजा, हवन और विसर्जन। महा नवमी के दिन हवन किया जाता है और कन्या भोज भी कराया जाता है। आओ जानते हैं कि इस दिन के क्या है शुभ मुहूर्त।
 
शारदीय नवरात्रि की महा नवमी 2023 के शुभ मुहूर्त:-
 
नवमी तिथि:- 
नवमी तिथि प्रारम्भ- 22 अक्टूबर 2023 को रात्रि 07:58 से
नवमी तिथि समाप्त- 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05:44 पर।
 
शारदीय नवरात्रि की महा नवमी 23 अक्टूबर 2023 सोमवार के दिन रहेगी।
आश्विन नवरात्रि पारण 24 अक्टूबर मंगलवार 2023 को रहेगा।
 
माता पूजा का मुहूर्त : अमृत काल या विजय मुहूर्त में पूजा करें।
हवन का मुहूर्त:- अभिजीत या विजय मुहूर्त में कर सकते हैं या सर्वार्थ सिद्धि योग में भी हवन किया जा सकता है।
विसर्जन मुहूर्त : सर्वार्थ सिद्धि योग में सुबह 06:27 से शाम 05:14 के बीच कभी भी हवन करने के बाद करें।
 
महा नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:43 से 12:28 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:58 से 02:43 तक।
अमृत काल : सुबह 07:29 से 08:59 तक। 
निशीथ काल मुहूर्त : रात्रि 11:40 से 12:31 तक। 
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:27 से शाम 05:14 तक।
रवि योग : पूरे दिन रहेगा।
 
महा नवमी की पूजा विधि:-
  • यदि नवमी को पारण कर रहे हैं तो पारण के पहले पूजा की जाती है।
  • इस दिन देवी सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं। इसी का हवन करते हैं।
  • इसके अंतर्गत नाम के पश्चात नमः लगाकर स्वाहा लगाकर आहूति दी जाती है।
  • इसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना जाता है।
  • इस नामावली के एक-एक नाम का उच्चारण करके देवी की पूजा करना चाहिए।
  • जिस वस्तु से अर्चन करना हो वह शुद्ध, पवित्र, दोष रहित व एक हजार होना चाहिए।
  • पूजा अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए।
  • पूजा करने के पूर्व स्नानादि आदि से शुद्ध होकर धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर अर्चन करना चाहिए।
 
पूजा सामग्री : अर्चन में बिल्वपत्र, हल्दी, केसर, कुंकुम, पीले चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, गुलाब के फूल की पंखुड़ी, मोगरे का फूल, चारौली, किसमिस, सिक्का, चुनवरी सहित 16 श्रृंगार आदि।

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